World News: पाकिस्तान में रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) और इस्लामाबाद सरकार के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर के कार्यकाल विस्तार के मुद्दे ने राजनीति और सैन्य शक्तियों के रिश्तों में नई तल्खी पैदा कर दी है।
सरकार का कहना है कि मुनीर का कार्यकाल 2027 तक ही बढ़ाया गया है, जबकि मुनीर 2025 से 2030 तक पांच साल का नया कार्यकाल चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, यह विवाद महज कार्यकाल बढ़ाने का नहीं, बल्कि सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के इरादे का है।
रणनीतिक बयानबाजी, अंदरुनी नियुक्तियां और विदेशी समर्थन
पीएमएल-एन पार्टी को आशंका है कि अगर अभी विस्तार मिला, तो मुनीर का दबदबा पूरे राजनीतिक तंत्र पर बढ़ जाएगा। रणनीति के तहत पार्टी ने दो साल का विस्तार देने का प्रस्ताव रखा है, ताकि 2027 के बाद नए कार्यकाल पर विचार हो सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कतर जैसे कुछ विदेशी देश इस विवाद में मध्यस्थता की कोशिश कर रहे हैं।
सेना के भीतर विरोध की स्थिति नहीं है, क्योंकि मुनीर ने अपने करीबी अधिकारियों को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया है। आर्मी में डीजी आईएसआई जनरल असीम मलिक, डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला, लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रजा और फैसल नसीर जैसे अधिकारियों को विस्तार या अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं।
आईएसआई की सियासी भूमिका और सरकार पर दबाव
खुफिया सूत्रों की मानें तो आईएसआई अब सरकार पर दबाव बढ़ा रही है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान को सड़क पर उतारने और प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार की याचिका चुनाव आयोग में दाखिल करवाई गई है, जिससे शहबाज शरीफ सरकार की समस्याएं और बढ़ गई हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वर्चस्व की लड़ाई पाकिस्तान की राजनीति और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर चुनौती बन गई है।

