World News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त रणनीति आखिरकार काम कर गई। लंबे वक्त से रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदने वाले चीन ने अब रूस से क्रूड ऑयल की डील रद्द कर दी है। यह कदम अमेरिका द्वारा रूसी कंपनियों पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बाद उठाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, चीन की सभी प्रमुख सरकारी और निजी रिफाइनरी कंपनियों ने तत्काल प्रभाव से रूसी तेल की खरीद बंद करने का फैसला किया है। अमेरिका ने रूस की दो बड़ी ऑयल कंपनियों — रोजनेफ्ट और लुकोइल — पर प्रतिबंध लगाए हैं, जो चीन को प्रतिदिन लाखों बैरल तेल की आपूर्ति करती थीं।
अमेरिकी दबाव का सीधा असर
अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों ने चीन के ऊर्जा क्षेत्र को सीधा प्रभावित किया है। चीन फिलहाल लगभग 14 लाख बैरल प्रतिदिन रूस से तेल खरीदता था। लेकिन अब कंपनियों के निर्णय के बाद यह आयात अचानक रुक गया है। ऊर्जा विश्लेषकों के अनुसार, अब चीन की ओर से रूस से तेल आयात घटकर 2.5 लाख बैरल प्रतिदिन रह जाएगा, जबकि कुछ कंपनियों के अनुसार यह आंकड़ा 50 हजार बैरल तक गिर सकता है।
चीन के इस कदम से रूस की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ने वाला है, क्योंकि रूस की तेल निर्यात पर निर्भरता लगभग 40% है। इस रोक के चलते मॉस्को को अब अपने तेल निर्यात के लिए नए बाज़ार तलाशने होंगे।
भारत ने भी अपनाई दूरी
यह भी बताया जा रहा है कि चीन ने यह कदम भारत के बाद उठाया है। भारत की कई सरकारी और निजी तेल कंपनियों ने पहले ही रूस से क्रूड आयात रोकने का फैसला कर लिया था। इससे रूस के लिए एशियाई बाजार में एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
संभावित असर
विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय से ग्लोबल ऑयल मार्केट पर गहरा असर पड़ेगा। आपूर्ति घटने से तेल की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। वहीं, रूस को इससे अरबों डॉलर के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
ऊर्जा सलाहकारों का मानना है कि चीन ने यह कदम अस्थायी रूप से उठाया है ताकि वह अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से बच सके। स्थिति सामान्य होते ही चीन संभवतः वैकल्पिक मार्ग से फिर से रूसी तेल खरीदेगा।

