Health News: आयुर्वेद और योग विज्ञान में हजारों सालों से स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्राकृतिक समाधान मौजूद हैं। ऐसे ही एक प्रभावशाली योगासन का नाम है सेतु बंध सर्वांगासन, जिसे अंग्रेज़ी में Bridge Pose कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स और आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह आसन खास तौर पर कमर दर्द, पीठ की जकड़न, थायरॉइड की समस्या और मानसिक तनाव से राहत दिलाने में बेहद कारगर है।
यह आसन शरीर की रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। साथ ही यह छाती और फेफड़ों को खोलता है, जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता और सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है। सेतु बंध सर्वांगासन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं या जिनके शरीर के निचले हिस्से में जकड़न बनी रहती है।
थायरॉइड संतुलन में असरदार
इस आसन के दौरान गले की ओर खिंचाव पड़ता है, जिससे थायरॉइड ग्रंथि उत्तेजित होती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म और हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती है। नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
महिलाओं के लिए विशेष लाभ
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आसन महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, खासकर मासिक धर्म के दौरान होने वाले पेट दर्द, मूड स्विंग्स और तनाव को कम करने में। यह आसन शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है और हार्मोन संतुलन को दुरुस्त करता है।
पाचन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
सेतु बंध सर्वांगासन पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है। पेट के अंगों पर हल्का दबाव पड़ने से भोजन पचाने की प्रक्रिया में मदद मिलती है। साथ ही यह तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में सहायक है। ध्यानपूर्वक किया गया अभ्यास मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को बढ़ाता है।
कैसे करें सेतु बंध सर्वांगासन?
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सबसे पहले चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
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दोनों घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास रखें।
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हाथों को शरीर के दोनों ओर फैलाएं, हथेलियां नीचे की ओर रहें।
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गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर उठाएं।
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सिर और कंधों को जमीन से टिकाए रखें। शरीर का आकार एक पुल जैसा बने।
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इस स्थिति में 10-15 सेकंड तक रुकें और सामान्य रूप से सांस लें।
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फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कूल्हों को वापस जमीन पर लाएं।
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इसे 3-5 बार दोहराएं।
किन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए?
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जिन्हें गर्दन, पीठ या कंधों में चोट है, वे इस आसन से बचें।
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गर्भवती महिलाएं इसे न करें या डॉक्टर से सलाह लें।
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यह आसन हमेशा खाली पेट या भोजन के कम से कम 3 घंटे बाद करना चाहिए।
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जरूरत से ज्यादा जोर या खिंचाव न डालें।
योग विशेषज्ञों की सलाह है कि इस आसन को प्रशिक्षित योग गुरु की निगरानी में शुरू किया जाए, ताकि आसन की तकनीक और मुद्रा सही बनी रहे।