Ranchi News : झारखंड में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और पेसा कानून अधिनियम 1996 के तत्काल क्रियान्वयन को लेकर केन्द्रीय सरना समिति और विभिन्न आदिवासी संगठनों ने गुमला से रांची तक चार दिवसीय पदयात्रा की। यह यात्रा 11 जुलाई 2025 को गुमला जिला के लिटा टोली स्थित पंखराज बाबा कार्तिक उरांव के जन्मस्थल से शुरू हुई और 14 जुलाई को रांची के आईटीआई बजरा में समाप्त हुई।
आईटीआई बजरा में सैकड़ों पदयात्रियों का भव्य स्वागत किया गया, जहाँ फूल-माला और अंगवस्त्र भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। इसके बाद केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष श्री बबलू मुंडा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राजभवन तक मार्च किया और महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
बबलू मुंडा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था को खत्म करने पर तुली हुई है, और एक विशेष समुदाय को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से पेसा कानून लागू नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम आदिवासी समाज को जल, जंगल, जमीन पर अधिकार देता है और यह ग्राम सभाओं को सशक्त करता है।
मुख्य पहान जगलाल पहान ने बताया कि इस कानून में कुल 23 महत्वपूर्ण प्रावधान हैं जो ग्राम सभा को भूमि अधिग्रहण पर सहमति, खनिज संसाधनों के प्रबंधन, पारंपरिक संस्कृति की रक्षा, स्थानीय विवादों के निपटारे जैसे अधिकार प्रदान करते हैं।
आदिवासी संगठनों का स्पष्ट कहना है कि पेसा कानून लागू होने से जनजातीय क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, पारदर्शिता और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इस कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और राज्यपाल से आग्रह किया कि वह जल्द से जल्द पेसा कानून लागू करवाएं।
पदयात्रा और राजभवन मार्च ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कदम उठाती है।