Ranchi : झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए सरकार के शीर्ष अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। यह मामला रांची और पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिलों से जुड़ा है, जहां ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद कई बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए थे।
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अजय कुमार सिंह, झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ड्रग कंट्रोलर कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने कहा कि ऐसी घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं और सरकार को तत्काल प्रभाव से ठोस कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।
अदालत ने राज्य सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें यह जानकारी देने को कहा गया है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में कितने ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित किए गए, राज्य में कुल रक्त की कितनी आवश्यकता है और वास्तविक उपलब्धता कितनी है। साथ ही अदालत ने झारखंड में नेशनल ब्लड पॉलिसी को और प्रभावी बनाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व में भी अदालत ने इस विषय पर दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन फिर भी रांची और चाईबासा में संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। अदालत ने यह भी पूछा कि झारखंड के अस्पतालों में अब तक न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (NAT) मशीनें क्यों नहीं लगाई गई हैं, जो रक्त संक्रमण की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीक मानी जाती है।
इसके अलावा, अदालत ने सवाल उठाया कि राज्य में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक कैसे चल रहे हैं और ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण में दो साल से देरी क्यों की जा रही है। अदालत ने यह भी चिंता जताई कि कई अस्पतालों में अब भी पैसे लेकर ब्लड डोनेट कराने का चलन जारी है।
महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार नियमित रूप से ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित कर रही है और नेशनल ब्लड पॉलिसी को प्रभावी बनाने के लिए एसओपी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी जिलों में जल्द ही न्यूक्लिक एसिड टेस्ट मशीनें स्थापित की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि यह मामला उस समय उजागर हुआ जब रांची सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित एक बच्चे को ब्लड चढ़ाने के बाद वह एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। बच्चे के पिता ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी थी, जिसे जनहित याचिका में परिवर्तित कर लिया गया। इसके अलावा चाईबासा सदर अस्पताल में भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन के बाद पांच बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए थे।

