Bihar News: बिहार चुनाव 2025 में पातेपुर विधानसभा सीट पर एक बार फिर BJP और RJD में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। वैशाली जिले की यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट, राजनीतिक इतिहास, कृषि और धार्मिक महत्व के चलते राज्य की सियासत का केंद्र बनी रही है।
1951 में गठित पातेपुर ने अब तक 19 बार चुनाव देखे हैं। बीते डेढ़ दशक में यहां BJP और RJD के बीच चुनावी तपिश बनी रही है। 2020 में BJP के लखेंद्र रौशन ने RJD के शिवचंद्र राम को हराया तो 2015 में RJD की जीत रही। इससे पहले 2010 में BJP और पिछले वर्षों में कांग्रेस, जदयू, लोजपा का दबदबा रहा है।
यहां रविदास, पासवान, कुर्मी और कोरी समुदाय के वोटर सबसे अधिक संख्या में हैं, जो चुनावी गणित बदल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जातिगत समीकरण ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। प्रेमा चौधरी और महेंद्र बैठा जैसे नेताओं का भी इस सीट पर खास प्रभाव रहा है।
पातेपुर की अर्थव्यवस्था धान, गेहूं, मक्का की उपज और महनार बाजार में व्यापार पर टिकी है। क्षेत्र का श्रीराम-जानकी मंदिर और बाबा दरवेश्वरनाथ धाम धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का केन्द्र हैं। हर रामनवमी पर बड़े पैमाने पर मेला लगता है, जो स्थानीय एकता और संस्कृति को मजबूत करता है।
इस बार फिर BJP और RJD के बीच सियासी रणनीति, जातिगत समीकरण और विकास के वादों पर चुनावी बाजी किसके हाथ जाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

