Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई प्रमुख उम्मीदवारों का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया। इनमें महागठबंधन की श्वेता सुमन, राजद विधायक शशि भूषण सिंह (सुगौली) और लोजपा आर की सीमा सिंह (मढौरा) सहित कई नाम शामिल हैं। आयोग की जांच में पाया गया कि इन उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया में कई गंभीर त्रुटियां थीं।
नामांकन रद्द होने के प्रमुख कारण
चुनाव आयोग के अनुसार नामांकन पत्र रद्द होने के मुख्य कारण निम्न हैं:
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दस्तावेज समय पर जमा न करना या प्रस्तावकों की संख्या अधूरी होना।
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नामांकन पत्र उम्मीदवार या प्रस्तावक के हस्ताक्षर के बिना जमा होना।
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निर्धारित वर्ग या क्षेत्र से उम्मीदवार का संबंध न होना।
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हलफनामा अधूरा देना या आवश्यक कॉलम खाली छोड़ना।
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उस विधानसभा क्षेत्र का मतदाता न होना।
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नामांकित मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति संलग्न न करना।
आयोग का कहना है कि इन सभी बिंदुओं की जांच रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा बारीकी से की जाती है। छोटी वर्तनी की त्रुटियों को छोड़कर, प्रक्रिया संबंधी चूक पर नामांकन सीधे खारिज हो जाता है।
सीमा सिंह को मिला सुधार का मौका
लोजपा आर की प्रत्याशी सीमा सिंह को आयोग ने दस्तावेज़ त्रुटि सुधारने का अवसर दिया था, लेकिन वे समय पर संशोधित फॉर्म दाखिल नहीं कर सकीं। नतीजतन, निर्वाचन पदाधिकारी ने नियमानुसार उनका नामांकन अवैध घोषित कर दिया।
कानूनी विकल्प
नामांकन रद्द होने पर उम्मीदवार के पास दो कानूनी रास्ते हैं:
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पुनर्विचार याचिका (Review Petition) – इसके तहत उम्मीदवार आयोग के समक्ष यह साबित कर सकता है कि रद्द करने की प्रक्रिया अनुचित या तकनीकी गलती पर आधारित थी।
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न्यायिक अपील (Judicial Appeal) – उम्मीदवार हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया लंबी होती है और चुनाव कार्यक्रम प्रभावित नहीं होता।
आयोग की सख्त निगरानी
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि नामांकन की प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता और समयबद्धता से पूरी की जाती है। अधिकारी मामूली गलती पर सुधार का अवसर देते हैं, लेकिन नियमों की अवहेलना या अधूरे दस्तावेज़ किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किए जाते।

