Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार नई चुनावी रणनीति अपनाई है। पार्टी ने राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने इस बार छह जिलों – मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास– में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है।
इन छह जिलों में भाजपा का कमल निशान वोटिंग मशीन (EVM) पर नहीं दिखेगा। इन इलाकों में एनडीए के सहयोगी दल, यानी जदयू, लोजपा (आर) और हम–आरएलएम के उम्मीदवार मैदान संभालेंगे। भाजपा ने स्पष्ट किया है कि यह गठबंधन समन्वय की रणनीति के तहत लिया गया निर्णय है।
गठबंधन को प्राथमिकता
भाजपा नेताओं का कहना है कि यह निर्णय एनडीए की एकजुटता को और मजबूत करेगा। भाजपा ने इस बार कुल 101 सीटों पर, जबकि जदयू को भी 101 सीटों का कोटा दिया गया है। लोजपा (आर) को 29 और हम–आरएलएम को 6–6 सीटें मिली हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने यह कदम उन जिलों में सहयोगी दलों की मजबूत पकड़ को देखते हुए उठाया है।2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा में प्रत्याशी नहीं उतारे थे। इस बार रोहतास जिला नई सूची में जुड़ा है, जहां भाजपा ने पिछली बार डिहरी और काराकाट से चुनाव लड़ा था।
चंपारण और पटना में भाजपा का परचम
दूसरी तरफ, भाजपा ने पश्चिम चंपारण जिले में सबसे अधिक आठ उम्मीदवार उतारे हैं- हरसिद्धि, पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, रक्सौल, मधुबन, चिरैया और ढाका सीटों से। पूर्वी चंपारण की 9 में से 7 सीटों पर भी भाजपा मैदान में है। इसके अलावा पटना की 14 में से 7 सीटों और दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भोजपुर, मधुबनी जैसे जिलों में भी पार्टी ने मजबूत उपस्थिति दर्ज की है।
सियासी समीकरणों का संतुलन
भाजपा की यह नीति गठबंधन में सहयोगी दलों को बराबरी का स्थान देने और सीट वितरण में संतुलन बनाए रखने की दिशा में बड़ा संकेत मानी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा ने जहां साथी दलों को मजबूत जिलों में मौका दिया है, वहीं जिन जिलों में उसकी पकड़ है, वहां पार्टी ने निर्णायक उपस्थिति दर्ज कराई है।

