Health News: अगर गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे चीनी का सेवन सीमित रखें, तो यह आदत भविष्य में दिल से जुड़ी बीमारियों को काफी हद तक रोक सकती है। ब्रिटेन में किए गए एक दिलचस्प शोध ने यह साफ किया है कि गर्भावस्था और शुरुआती बचपन के दौरान मीठे खाद्य पदार्थों से दूरी रखना दिल के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
ब्रिटिश शोध से निकला अहम निष्कर्ष
यह अध्ययन युद्ध के बाद के दौर में पैदा हुए करीब 63,000 ब्रिटिश नागरिकों के स्वास्थ्य डेटा पर आधारित है। इन लोगों का जन्म उस समय हुआ था जब ब्रिटेन में “शुगर राशनिंग” लागू थी। 1950 के दशक में सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए रोजाना 40 ग्राम से कम चीनी की सीमा तय की थी, जबकि दो साल से छोटे बच्चों को अतिरिक्त चीनी बिल्कुल नहीं दी जाती थी।
जब वैज्ञानिकों ने इन लोगों के स्वास्थ्य आंकड़ों की तुलना उन लोगों से की, जिनका पालन-पोषण सामान्य चीनी सेवन के साथ हुआ था, तो नतीजे चौंकाने वाले थे। सीमित चीनी खाने वालों में हृदय रोग का जोखिम 20% तक कम पाया गया। वहीं, दिल का दौरा 25% कम, स्ट्रोक का खतरा 31% तक घटा और हृदय रोग से मृत्यु की संभावना 27% तक कम हुई।
शुरुआती मीठे से दूरी, जीवनभर का फायदा
शोधकर्ताओं का कहना है कि जब बच्चे को शुरुआती उम्र में मीठे खाद्य पदार्थों से दूर रखा जाता है, तो उसका शरीर चीनी की अधिक मात्रा का आदी नहीं बनता। यही आदत आगे चलकर मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों को रोकती है—जो आगे चलकर हृदय रोगों के मुख्य कारण बनती हैं।
हालांकि अध्ययन किसी निश्चित कारण-परिणाम संबंध को साबित नहीं करता, लेकिन यह ज़रूर दिखाता है कि शुरुआती जीवन में संतुलित आहार और सीमित चीनी सेवन लंबे समय तक दिल को स्वस्थ रख सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के आहार से मीठे को कम करना आने वाले वर्षों में दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और अन्य जीवनशैली से जुड़ी परेशानियों का खतरा काफी घटा सकता है।

