Health News: हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर तेजी से बढ़ते कदमों ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या एयर-फ्राइंग वास्तव में डीप-फ्राइंग का बेहतर विकल्प है। एयर-फ्रायर की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें बहुत कम तेल लगता है और गर्म हवा के सर्कुलेशन से खाना कुरकुरा भी बन जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयर-फ्राइंग से खाने में मौजूद फैट करीब 70-80 प्रतिशत तक कम हो जाता है। यही वजह है कि यह वजन घटाने और दिल की बीमारियों से बचाव के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
जानें इसके छिपे खतरे
कम तेल का मतलब है कम कैलोरी और कम कोलेस्ट्रॉल, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा घटता है। लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि सिर्फ पकाने का तरीका बदलने से खाना पूरी तरह से हेल्दी नहीं हो जाता। अगर एयर-फ्रायर में फ्रोजन स्नैक्स या प्रोसेस्ड फूड डाले जाते हैं, जिनमें पहले से ही ज्यादा नमक, प्रिजर्वेटिव्स और रिफाइंड कार्ब्स मौजूद होते हैं, तो नुकसान वैसे ही रहेंगे।
इसके अलावा, एयर-फ्राइंग के दौरान बहुत ज्यादा तापमान पर एक्रिलामाइड नामक हानिकारक कंपाउंड भी बन सकते हैं। हालांकि यह डीप-फ्राइंग की तुलना में कम मात्रा में होते हैं, लेकिन पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किए जा सकते।
डीप-फ्राइंग को अक्सर खराब माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी तरह नुकसानदायक नहीं है। अगर सही तेल जैसे मस्टर्ड ऑयल, ग्राउंडनट ऑयल या ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाए और सीमित मात्रा में डीप-फ्राइंग किया जाए, तो यह सेहत के लिए इतना बुरा नहीं है। इसके अलावा, डीप-फ्राइंग से सब्जियों में मौजूद फैट-सॉल्यूबल विटामिन्स जैसे ए, डी, ई और के शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं।
असल समस्या तब शुरू होती है जब लोग रोजाना तली हुई चीजें खाते हैं या तेल को बार-बार दोबारा इस्तेमाल करते हैं।
नतीजा यही निकलता है कि एयर-फ्राइंग डीप-फ्राइंग से कहीं ज्यादा हेल्दी है, लेकिन यह कोई जादुई समाधान नहीं है। इसे सही मायनों में फायदेमंद बनाने के लिए जरूरी है कि इसमें शकरकंदी फ्राइज, पनीर टिक्का, ग्रिल्ड वेजिटेबल्स या चिकन ब्रेस्ट जैसे ताजे और पौष्टिक खाद्य पदार्थ पकाए जाएं, न कि सिर्फ रेडी-टू-ईट प्रोसेस्ड स्नैक्स।