Social News: भारत का IT Sector तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य में संघर्ष कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 के अंत तक करीब 50 हजार कर्मचारियों की नौकरियां जा सकती हैं। हैरानी की बात यह है कि यह छंटनी खुलकर नहीं हो रही, बल्कि कंपनियां इसे ‘साइलेंट लेऑफ’ के रूप में अंजाम दे रही हैं।
साइलेंट लेऑफ का बढ़ता ट्रेंड
आईटी कंपनियां अब कर्मचारियों को सीधे नौकरी से निकालने की बजाय परफॉर्मेंस या रोल एडजस्टमेंट के आधार पर नौकरी समाप्त कर रही हैं। पिछले साल जहां 25 हजार लोगों की नौकरी गई थी, इस साल यह संख्या दोगुनी हो सकती है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अकेले 12 हजार कर्मचारियों को निकालने की योजना बनाई है, जबकि इन्फोसिस ने 11 हजार कर्मचारियों को हटाते हुए लागत में कटौती की है।
एआई से घटती मानव निर्भरता
सेक्टर में यह गिरावट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से जुड़ी है। पहले जो काम सैकड़ों इंजीनियर करते थे, अब एआई-टूल्स कुछ ही मिनटों में कर लेते हैं। कंपनियां अब एआई-सक्षम सिस्टम्स पर निर्भर हो रही हैं, जिससे पुराने स्किल वाले कर्मचारी अप्रासंगिक हो गए हैं।
नई स्किल्स सीखने वालों के लिए अवसर
विशेषज्ञों का मानना है कि संकट के बावजूद अवसर खत्म नहीं हुए हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित पेशेवरों की मांग अभी भी मजबूत है। आने वाले सालों में जो कर्मचारी नई तकनीकों को अपनाने में सक्षम होंगे, वही इस दौर में टिक पाएंगे।
फ्रेशर्स की भर्ती पर भी असर
आईटी कंपनियों ने अब बड़े पैमाने पर फ्रेशर्स की भर्ती की रणनीति को कम कर दिया है। कंपनियां कम लोगों से ज्यादा काम लेने की नीति अपना रही हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यह दौर लंबा चल सकता है, और 2026 तक छंटनी की संख्या 60 हजार तक पहुंचने की आशंका है।

