Astrology News: आयुर्वेद में ब्रह्म मुहूर्त का समय — यानी सुबह 4 से 6 बजे के बीच — सबसे पवित्र और ऊर्जावान माना गया है। इस समय उठने से मन शांत होता है, सोचने की क्षमता तेज होती है और शरीर नई ऊर्जा से भर जाता है। यह वह पल होता है जब प्रकृति सबसे शांत और वातावरण सबसे स्वच्छ होता है, जिससे शरीर और मन दोनों को सकारात्मक प्रभाव मिलता है।
सुबह की शुरुआत शुद्धि और उषःपान से करें
आयुर्वेदिक दिनचर्या में ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद सबसे पहला कदम मुख-शुद्धि है। नीम या बबूल की दातून से दांत साफ करने और जीभ की सफाई करने से शरीर में जमा टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। यह न केवल पाचन तंत्र को सक्रिय करता है बल्कि मुंह की बदबू और बैक्टीरिया को भी दूर रखता है।
इसके बाद आता है उषःपान, यानी सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना। अगर यह पानी तांबे या मिट्टी के बर्तन में रखा गया हो, तो इसके फायदे और बढ़ जाते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करता है, पाचन सुधारता है और त्वचा में निखार लाता है।
योग, स्नान और ध्यान से बढ़ेगी जीवनशक्ति
ब्रह्म मुहूर्त का समय योग और प्राणायाम के लिए सबसे उपयुक्त होता है। सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम जैसे आसन करने से रक्त संचार सुधरता है और शरीर में नई ऊर्जा आती है। इसके बाद स्नान करना चाहिए, जो केवल शरीर को नहीं बल्कि मन को भी शुद्ध करता है।
स्नान के बाद पूजा या ध्यान करने से मानसिक शांति और आत्मबल बढ़ता है। दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करने वाला व्यक्ति पूरे दिन एकाग्र और प्रसन्न रहता है। अंत में हल्का और पौष्टिक नाश्ता जैसे फल, दलिया या दूध लेने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और पाचन बेहतर रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त की दिनचर्या अपनाने से न केवल तन-मन स्वस्थ रहता है, बल्कि जीवन में अनुशासन और स्थिरता भी आती है।

