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लादेन की मौत के बाद पत्नियों का क्या हुआ? बाबर की किताब में बड़ा खुलासा

ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद उसकी पत्नियों और बच्चों का क्या हुआ, यह अब तक रहस्य बना हुआ था। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर की किताब ने इस राज से पर्दा हटा दिया है।
Public AddaBy Public AddaSeptember 15, 20253 Mins Read
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World News: अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का नाम सुनते ही 11 सितंबर 2001 का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमला आंखों के सामने घूम जाता है। इस हमले ने पूरी दुनिया को हिला दिया था और अमेरिका ने इसे अपनी धरती पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला करार दिया। इसके बाद लादेन अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया और उसे जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया खोज शुरू हुई। आखिरकार 2 मई 2011 की रात पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में अमेरिकी नेवी सील्स ने 40 मिनट तक चले ऑपरेशन में लादेन को मौत के घाट उतार दिया।

लादेन की मौत के बाद पूरी दुनिया को तो चैन मिला, लेकिन सवाल उठने लगे कि उसके परिवार का क्या हुआ। ऑपरेशन के समय उसके साथ उसकी पत्नियां और बच्चे भी उसी घर में मौजूद थे। लेकिन दुनिया को कभी साफ जवाब नहीं मिला कि उन महिलाओं और बच्चों का क्या अंजाम हुआ।

अब इस रहस्य पर से पर्दा उठाया है पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रवक्ता रहे फरहतुल्लाह बाबर ने। उन्होंने अपनी नई किताब “द जरदारी प्रेसीडेंसी; नाउ इट मस्ट बी टोल्ड” में लिखा है कि जैसे ही अमेरिकी ऑपरेशन खत्म हुआ और लादेन मारा गया, उसके तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना वहां पहुंची। सेना ने ओसामा की पत्नियों को हिरासत में ले लिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

बाबर लिखते हैं कि कुछ ही दिनों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की टीम एबटाबाद की छावनी में पहुंची और पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी में लादेन की पत्नियों से पूछताछ शुरू कर दी। यह दृश्य पाकिस्तान की संप्रभुता पर एक गंभीर सवाल था, क्योंकि अमेरिकी एजेंट खुलेआम पाकिस्तान की जमीन पर काम कर रहे थे और पाकिस्तानी सरकार व सेना उनके सामने लाचार नजर आ रही थी।

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बाबर का कहना है कि इस घटना ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित कर दिया। दुनिया ने देखा कि देश के भीतर अमेरिका अपनी मर्जी से कार्रवाई कर सकता है और पाकिस्तान की सरकार कुछ नहीं कर पाई। इस्लामाबाद के लिए यह क्षण विफलता और शर्मिंदगी से भरा हुआ था।

किताब में यह भी दावा किया गया है कि अमेरिका को बहुत पहले से जानकारी थी कि लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में रह रहा है। इतना ही नहीं, अमेरिकी एजेंसियों ने उस ठेकेदार की भी पहचान कर ली थी, जिसने लादेन के लिए वह सुरक्षित ठिकाना तैयार किया था।

लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने से पूरी दुनिया में इस्लामाबाद की छवि खराब हो गई। पश्चिमी देशों में यह सवाल उठने लगा कि आखिर दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी पाकिस्तान की छावनी के भीतर इतने सालों तक कैसे छिपा रहा।

बाबर लिखते हैं कि ऑपरेशन के बाद तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और सीनेटर जॉन कैरी समेत कई शीर्ष अमेरिकी नेता पाकिस्तान पहुंचे थे। इस दौरान इस्लामाबाद की सरकार ने अमेरिका से मांग की थी कि भविष्य में वह पाकिस्तान की अनुमति के बिना ऐसे किसी ऑपरेशन को अंजाम नहीं देगा। लेकिन अमेरिका ने कभी भी ऐसा आश्वासन नहीं दिया।

इस किताब ने न सिर्फ लादेन की मौत के बाद उसकी पत्नियों और बच्चों के हालात को उजागर किया है, बल्कि पाकिस्तान की सरकार और सेना की कमजोरियों को भी सामने रखा है। बाबर का कहना है कि लादेन का मारा जाना पाकिस्तान के लिए एक “राष्ट्रीय अपमान” था, जिसकी गूंज आज भी महसूस की जा सकती है।

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