Health News: आधुनिक जीवनशैली में मोबाइल और कंप्यूटर का लगातार इस्तेमाल आम हो गया है। घंटों तक झुककर बैठने की आदत से गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या सिर्फ दर्द तक सीमित नहीं रहती बल्कि मरीज की जीवनशैली और कामकाज की क्षमता को भी प्रभावित करती है।
गर्दन और रीढ़ के दर्द का प्राकृतिक इलाज
चिकित्सकों के अनुसार, गर्दन का जो हिस्सा रीढ़ की हड्डी को सहारा देता है उसे सर्वाइकल स्पाइन कहा जाता है। इसमें सात कशेरुकाएं होती हैं। जब इनमें घिसाव, सूजन या दबाव की स्थिति बनती है तो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या होती है। इसके लक्षणों में गर्दन और कंधों में दर्द, हाथों में झनझनाहट, सिरदर्द, चक्कर, कमजोरी, नींद न आना और कभी-कभी धुंधली दृष्टि भी शामिल है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि गलत मुद्रा में लंबे समय तक बैठना, चोट लगना, 40 वर्ष के बाद हड्डियों का कमजोर होना, तनाव, कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी इसके बड़े कारण हैं। आयुर्वेद में इसे ग्रीवा स्तंभ कहा जाता है और इसे वात दोष से जुड़ा माना गया है।
आयुर्वेदिक नुस्खों में अजवाइन की सेंकाई से गर्दन का दर्द और जकड़न कम होती है। सरसों के तेल में लहसुन भूनकर मालिश करने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और सूजन घटती है। गिलोय, हल्दी और अदरक का काढ़ा पीना शरीर की सूजन और दर्द में राहत देता है। वहीं, मेथी दाना भिगोकर खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं।
जानें घरेलू उपाय
योग भी राहत देने में कारगर है। भुजंगासन, ताड़ासन, मकरासन और गर्दन घुमाने वाले आसन करने से लचीलापन और आराम मिलता है। गुनगुने पानी से नहाना या गर्म पट्टी लगाना भी मांसपेशियों का तनाव घटाता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लंबे समय तक मोबाइल और लैपटॉप का उपयोग न करें। काम की मजबूरी में हर आधे घंटे पर गर्दन को हल्का घुमाना चाहिए। सोते समय सही ऊंचाई का तकिया चुनना जरूरी है। तनाव से दूर रहना और धूप में रोजाना 15-20 मिनट समय बिताना विटामिन-डी की कमी पूरी करता है।
आहार में दूध, दालें, हरी सब्जियां, तिल और बादाम शामिल करना हड्डियों को मजबूती देता है। जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव और आयुर्वेदिक नुस्खों के जरिए सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से बचाव और राहत दोनों संभव हैं।