Health News: एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में गोरी त्वचा वाले लोगों में स्किन कैंसर के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह त्वचा में मेलानिन की कमी मानी जा रही है। मेलानिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य है जो सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट (यूवी) किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। गहरी त्वचा वाले लोगों में मेलानिन की मात्रा अधिक होती है, जिससे उनकी त्वचा सुरक्षित रहती है, लेकिन गोरी त्वचा वाले लोगों में इसकी कमी होने से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि गोरी त्वचा वाले लोगों में एमसीआईआर (MC1R) नामक जीन की गड़बड़ी भी स्किन कैंसर का बड़ा कारण है। यह जीन मेलानिन बनाने में मदद करता है, लेकिन समस्या होने पर शरीर पर्याप्त मेलानिन नहीं बना पाता। नतीजतन, उनकी त्वचा धूप के सीधे संपर्क में आने से जल्दी क्षतिग्रस्त होती है और मेलेनोमा जैसे खतरनाक स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में दुनिया भर में करीब 3.32 लाख नए स्किन कैंसर केस सामने आए। इनमें से 2.67 लाख केस सीधे-सीधे यूवी किरणों से जुड़े थे। इसका मतलब है कि धूप में लंबे समय तक रहना, टैनिंग करना और बिना सुरक्षा के धूप में निकलना सबसे बड़े कारण हैं।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट भी यही इशारा करती है। इसमें बताया गया है कि कॉकसियन मूल के लोगों में मेलेनोमा का खतरा जीवनभर में 2.6 प्रतिशत तक है। वहीं, अफ्रीकी और एशियाई मूल के लोगों में यह खतरा 0.1 प्रतिशत से भी कम है।
एआईएम एट मेलानोमा फाउंडेशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में अमेरिका में 200,000 से ज्यादा नए केस दर्ज हुए, जिनमें से करीब 8 हजार मौतें हुईं। 2025 में यह आंकड़ा और बढ़ने का अनुमान है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गोरी त्वचा वाले लोगों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना, पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, नियमित स्किन चेकअप कराना और टैनिंग बेड से दूरी बनाना बचाव के सबसे कारगर तरीके हैं।

