Health News: मिर्गी एक गंभीर और जटिल बीमारी है, जिसके दौरे किसी भी समय अचानक आ सकते हैं। इस दौरान व्यक्ति बेहोश हो सकता है या होश में रहते हुए भी असामान्य हरकतें कर सकता है। मिर्गी का मुख्य इलाज दवाओं के जरिए किया जाता है, लेकिन कई मरीज नियमित दवाओं के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाते और उन्हें समय-समय पर दौरे आते रहते हैं। ऐसे में योग और प्राणायाम एक सहायक और प्रभावी विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं।
आयुष मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, योग का नियमित अभ्यास न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि मस्तिष्क की नसों की कार्यप्रणाली को भी बेहतर बनाता है। योग विशेषज्ञ बताते हैं कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम मिर्गी से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इस प्राणायाम से मस्तिष्क में संतुलन और स्थिरता आती है। रोजाना 10 से 15 मिनट तक अनुलोम-विलोम करने से मानसिक तनाव घटता है और दौरे की संभावनाएं भी कम हो सकती हैं।
इसी तरह कपालभाति प्राणायाम भी मिर्गी में उपयोगी माना गया है। इसमें तेज गति से सांस बाहर निकालते हुए पेट को अंदर खींचा जाता है। यह क्रिया मस्तिष्क की कोशिकाओं को सक्रिय कर उनमें ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाती है। इससे नर्वस सिस्टम मजबूत होता है और मानसिक अस्थिरता दूर होती है। साथ ही, शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।
योगासन की बात करें तो ताड़ासन को मिर्गी मरीजों के लिए खासतौर पर लाभकारी बताया गया है। इसमें शरीर सीधा खड़ा कर हाथों को ऊपर की ओर खींचा जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है। यह आसन शरीर का संतुलन सुधारता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया दिमाग को शांति देती है, जिससे दौरे का खतरा कम हो सकता है।
इसी तरह हalasana (हलासन) मस्तिष्क की कोशिकाओं को अधिक सक्रिय करता है। इस आसन से सिर की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क का संतुलन और कार्यप्रणाली बेहतर होती है। यह पाचन और रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती प्रदान करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मिर्गी से पीड़ित लोग चिकित्सक की देखरेख में दवाओं के साथ योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें, तो उन्हें बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।