चैनपुर प्रखंड की लगभग 60,000 की आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले चार महीनों से एक भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई है, जिसके कारण आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति का सीधा फायदा झोलाछाप डॉक्टर और निजी अस्पताल उठा रहे हैं, जो मनमाने ढंग से मरीजों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं।जानकारी के अनुसार, कुछ महीने पहले तक चैनपुर सीएचसी में एक डॉक्टर कार्यरत थे, लेकिन उनके तबादले के बाद से यह पद खाली पड़ा है। 10 पंचायतों वाले इस प्रखंड का एकमात्र सरकारी अस्पताल अब केवल सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों और नर्सों के भरोसे चल रहा है। आलम यह है कि किसी भी गंभीर बीमारी या आपात स्थिति में मरीजों को रेफर करने के सिवा यहां कोई दूसरा विकल्प नहीं है।इस बदहाली ने क्षेत्र में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों और निजी क्लीनिकों के लिए एक खुला मैदान तैयार कर दिया है। उचित योग्यता और पंजीकरण के बिना ये तथाकथित डॉक्टर धड़ल्ले से मरीजों का इलाज कर रहे हैं, जिससे उनकी जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। वहीं, निजी अस्पताल इस अवसर को अपनी कमाई का जरिया बना चुके हैं। मरीजों से जांच और दवा के नाम पर मनमानी फीस वसूली जा रही है।उप प्रमुख प्रमोद खलखो अपना दर्द बयान करते हुए कहते हैं, “हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। अपनी जान बचाने के लिए हमें अपने घर का सामान बेचकर निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है। छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी हमें हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।”चिंताजनक बात यह भी है कि क्षेत्र में होने वाली कई गंभीर घटनाओं और चिकित्सकीय मामलों की जानकारी भी प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती है। आरोप है कि चंद पैसों के लालच में निजी अस्पताल संचालक इन मामलों को दबा देते हैं, जिससे न तो उचित कानूनी कार्रवाई हो पाती है और न ही स्वास्थ्य विभाग की निगरानी सुनिश्चित हो पाती है।स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई गई, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। प्रशासन की इस उदासीनता के कारण चैनपुर की आम जनता स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है और अपनी जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर है।ग्रामीणों ने अविलंब एक स्थायी डॉक्टर की नियुक्ति की मांग की है, ताकि उन्हें इस संकट से निजात मिल सके। जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने बताया, “हमने बार-बार सिविल सर्जन, गुमला एवं उपाधीक्षक डॉ. अनुपम किशोर से दूरभाष पर संपर्क कर चैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थायी डॉक्टर की मांग की है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे इस विषय में सांसद महोदय से बात कर ज्ञापन सौंपेंगी और बहुत जल्द क्षेत्रवासियों को झोलाछाप एवं निजी अस्पताल के डॉक्टरों से राहत दिलाएंगी