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Interesting News: हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज ‘एमिली इन पेरिस’ के पांचवें सीजन ने दर्शकों को एक ऐसी जगह से रूबरू कराया, जिसने पेरिस की चकाचौंध को भी पीछे छोड़ दिया। एमिली के प्रेमी मार्सेलो का वो गांव, जिसे पर्दे पर ‘सोलितानो’ कहा गया है, आज हर मुसाफिर का सपना बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोलितानो कोई काल्पनिक फिल्मी सेट नहीं, बल्कि इटली के नक्शे पर मौजूद एक जिंदा-जागता जन्नत का टुकड़ा है? इस गांव का असली नाम ‘सोलोमियो’ है और इसकी हकीकत पर्दे पर दिखने वाले तिलिस्म से कहीं ज्यादा हसीन और प्रेरणादायक है।
प्रेम की मिट्टी से खड़ा हुआ करोड़ों का साम्राज्य: सोलोमियो की कहानी
सोलोमियो गांव मध्य इटली के पेरुगिया प्रांत की पहाड़ियों पर बसा 12वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक स्थान है। यह गांव जितना हसीन टीवी स्क्रीन पर नजर आता है, इसकी असलियत उतनी ही दिलचस्प है। सोलितानो की तरह ही सोलोमियो भी एक लग्जरी फैशन ब्रांड का गढ़ है। जिस तरह सीरीज में ‘उम्बर्टो मुरातोरी’ ब्रांड दिखाया गया है, असल जिंदगी में यह दुनिया के मशहूर ‘फैशन किंग’ ब्रुनेलो कुसिनेली का साम्राज्य है।
यह कहानी सिर्फ बिजनेस की नहीं, बल्कि एक गहरे प्रेम की भी है। दरअसल, सोलोमियो ब्रुनेलो की पत्नी का जन्मस्थान है। 1980 के दशक में जब ब्रुनेलो ने सफलता की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कीं, तो उन्होंने उजड़ रहे इस गांव की रौनक लौटाने का फैसला किया। उन्होंने यहां का एक पुराना महल खरीदा और उसे अपनी कंपनी का मुख्यालय बनाया। उन्होंने न केवल अपना ऑफिस चमकाया, बल्कि पूरे गांव की एक-एक ईंट को फिर से संवारा।
शाम 5:30 बजे काम बंद! यहाँ रील लाइफ से भी ज्यादा ‘कूल’ है वर्क कल्चर
सीरीज में हम देखते हैं कि कैसे वहां के कर्मचारी एक परिवार की तरह रहते हैं। हकीकत में ब्रुनेलो कुसिनेली ने यहां काम करने का जो अंदाज विकसित किया है, वह आधुनिक कॉर्पोरेट दुनिया के लिए एक मिसाल है। उन्होंने यहां एक ऐसा कारखाना बनवाया है जो लगभग पूरा कांच का बना है। इसका उद्देश्य यह है कि कर्मचारी खुद को चार दीवारों में कैद न समझें, बल्कि सामने फैली हरियाली और कुदरत को देखते हुए रचनात्मक काम कर सकें।
सोलोमियो का सबसे बड़ा और अनोखा नियम यह है कि शाम 5:30 बजे के बाद काम करना सख्त मना है। कुसिनेली का मानना है कि जो इंसान सूरज ढलने के बाद भी दफ्तर में घिस रहा है, उसकी रचनात्मकता मर जाती है। इतना ही नहीं, हर दिन दोपहर 1 बजे पूरे 90 मिनट का ‘पास्ता ब्रेक’ होता है, जहां हर कोई साथ बैठकर पारंपरिक इतालवी व्यंजनों का स्वाद लेता है।
ठहरी हुई दुनिया का अहसास: वाइन, पास्ता और सुकून का संगम
अगर आप पेरिस की भागदौड़ से दूर किसी ठहरी हुई दुनिया में कदम रखना चाहते हैं, तो सोलोमियो एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यह गांव इतना छोटा है कि आप पैदल ही इसकी संकरी गलियों और पुराने पत्थर के घरों की सुंदरता निहार सकते हैं। यहां के ब्यूटी पार्क, सैन बार्टोलोमियो चर्च और कुसिनेली थिएटर देखने लायक हैं।
खाने के शौकीनों के लिए यहां हाथ से बना पास्ता और ताजे मौसमी ट्रफल किसी वरदान से कम नहीं हैं। स्थानीय वाइन का एक गिलास हाथ में लेकर पहाड़ियों के पीछे डूबते सूरज को देखना आपको एमिली और मार्सेलो की याद तो दिलाएगा ही, साथ ही आपकी रूह को वो सुकून देगा जिसे आप लंबे समय से तलाश रहे थे।
वायरल होने के बाद भी बचा है सादगी का जादू
सीरीज में दिखाया गया है कि एमिली की एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद सोलितानो वायरल हो जाता है। हकीकत में भी ‘एमिली इन पेरिस’ के बाद सोलोमियो को लेकर पर्यटकों में भारी दीवानगी देखी जा रही है। लेकिन इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आज भी अपनी शांति और सादगी को बचाए हुए है। अगर आपकी जेब इजाजत दे, तो वहां के ब्रुनेलो कुसिनेली स्टोर जाना न भूलें, जहां कश्मीरी कपड़ों की बुनावट में आपको इस गांव की रूह महसूस होगी।
सोलोमियो हमें सिखाता है कि तरक्की और आधुनिकता के बीच अपनी जड़ों और सुकून को कैसे जिंदा रखा जाता है। यह गांव सिर्फ एक लोकेशन नहीं, बल्कि जीने का एक मंत्र है।

