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World News: वैज्ञानिकों और खगोल प्रेमियों के लिए साल 2027 एक ऐतिहासिक सौगात लेकर आ रहा है। 2 अगस्त 2027 को धरती पर ‘सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण’ लगने जा रहा है। इस दौरान आसमान में पूरे 6 मिनट 23 सेकंड तक अंधेरा छाया रहेगा। यह खगोलीय घटना इतनी दुर्लभ है कि इसकी अवधि का अगला सूर्यग्रहण अब साल 2114 से पहले नहीं देखा जा सकेगा।
क्यों खास है 2027 का सूर्यग्रहण?
खगोलविदों के अनुसार, इस ग्रहण की लंबी अवधि के पीछे एक विशेष भौगोलिक स्थिति है। उस समय सूर्य पृथ्वी से अपनी अधिकतम दूरी पर होगा, जबकि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होगा। इस कारण चांद का आकार सामान्य से बड़ा दिखेगा और वह सूर्य की रोशनी को ज्यादा समय तक रोकने में सक्षम होगा। जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लेगा, तो पृथ्वी पर उसकी गहरी परछाई पड़ेगी, जिसे विज्ञान की भाषा में ‘अंब्रा’ कहा जाता है।
क्या पूरी दुनिया में छा जाएगा अंधेरा?
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या पूरा विश्व एक साथ अंधेरे में डूब जाएगा? वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि ऐसा नहीं होता। चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर एक पतली पट्टी के रूप में घूमती है, जिसे ‘पाथ ऑफ टोटैलिटी’ (Path of Totality) कहते हैं। केवल इस मार्ग में आने वाले देशों में ही पूर्ण अंधेरा और सूर्य का ‘कोरोना’ (चमकता घेरा) दिखाई देगा। बाकी हिस्सों में या तो आंशिक ग्रहण दिखेगा या मौसम सामान्य रहेगा।
मिस्र में होगा सबसे जादुई मंजर, भारत पर असर नहीं
2 अगस्त 2027 को होने वाला यह ग्रहण पूर्वी अटलांटिक से शुरू होकर उत्तरी अफ्रीका, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और मिस्र से होते हुए मिडिल ईस्ट तक जाएगा। मिस्र के लक्सर और असवान में ग्रहण की अवधि सबसे लंबी होगी, जहां तापमान में भी गिरावट महसूस की जा सकती है। यूरोप और पश्चिमी एशिया के कुछ हिस्सों में आंशिक ग्रहण दिखेगा। हालांकि, भारत समेत एशिया के बड़े हिस्से में इस ग्रहण का कोई सीधा असर नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
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