India News: उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की भलाई के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 9 साल तक के बच्चों को मोबाइल फोन न देने की नीति तैयार करने का फैसला लिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों की तर्ज पर यह प्रस्ताव रखा है।
स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग मिलकर इस नीति को मूर्त रूप देने में जुट गए हैं। दून मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और शिक्षा अधिकारियों ने बच्चों की मानसिक सेहत पर मोबाइल के साइड इफेक्ट्स को गंभीरता से नोटिस किया है। सरकार अब स्कूलों में मोबाइल के दुष्परिणामों को बच्चों की पढ़ाई में शामिल करने की तैयारी कर रही है।
पीएम मोदी के संदेश पर अमल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में घर में एक कोना “नो मोबाइल जोन” बनाने का सुझाव दिया था, जिसका असर अब नीति निर्माण में दिख रहा है। धामी सरकार ने बच्चों की डिजिटल लत, भूलने की आदत, आलस और सामाजिक गतिविधियों में कमी जैसी समस्याओं पर नियंत्रण के लिए अभिभावकों को भी जिम्मेदार ठहराया है।
हेल्थ और एजुकेशन डिपार्टमेंट के विशेषज्ञ मानते हैं कि मोबाइल से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ रहा है। खाने, पढ़ने और एक्टिविटी के लिए छोटे बच्चे मोबाइल के आदी हो रहे हैं, जिससे उनका दिमाग और व्यवहार प्रभावित हो रहा है।
स्कूलों में मोबाइल प्रतिबंध की ओर कदम
इस प्रस्ताव को अब स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर भी लागू करने की तैयारी है। नीति के अनुसार, 9 वर्ष तक के बच्चों को मोबाइल न देने की जिम्मेदारी अभिभावकों की होगी। कई देशों में पहले से स्कूलों में स्मार्टफोन पर बैन लागू है। उत्तराखंड सरकार भी अब बच्चों की सेहत के लिए सख्ती बरतने जा रही है।



