Bihar News: छठ पर्व के अवसर पर बिहार का औरंगाबाद स्थित देवार्क सूर्य मंदिर एक बार फिर श्रद्धालुओं से भर उठा है। यह वही पवित्र स्थल है जहां देवमाता अदिति ने सूर्य पुत्र की प्राप्ति के लिए तपस्या की थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहीं देवी षष्ठी, जिन्हें आज छठ मैया कहा जाता है, का प्रादुर्भाव हुआ था।
तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक
इतिहास और परंपरा के अनुसार, यह मंदिर भारत के तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में गिना जाता है — देवार्क (बिहार), लोलार्क (काशी) और कोणार्क (ओडिशा)। एक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने सूर्य के तप से पृथ्वी को बचाने के लिए अपने त्रिशूल से सूर्य को भेदा, तो उनके तीन भाग पृथ्वी पर गिरे — जिनसे इन तीन मंदिरों की स्थापना हुई।
एक अन्य कथा बताती है कि जब देव-असुर युद्ध में देवताओं की हार हुई, तब अदिति ने यहां तप कर सूर्य की आराधना की। उनकी तपस्या से उत्पन्न षष्ठी देवी ने उन्हें वरदान दिया कि उनके पुत्र आदित्य देव असुरों पर विजय प्राप्त करेंगे।
स्थापत्य और पूजास्थल का महत्व
देवार्क का यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है, जो सूर्य मंदिरों में अत्यंत दुर्लभ वास्तुशैली है। पत्थर की उत्कृष्ट नक्काशी इसे गुप्त और पाल कालीन शिल्प की झलक प्रदान करती है। श्रद्धालु यहां छठ पर्व के दौरान बड़े पैमाने पर सूर्य पूजा करते हैं और अर्घ्य अर्पित करते हैं।
देवार्क सूर्य मंदिर केवल छठ पर्व का धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान और वैदिक परंपरा का जीवंत प्रतीक है।



