Ranchi News : झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार जारी है। इसी क्रम में सीनियर निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और झारखंड के तत्कालीन संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को शनिवार को एसीबी की विशेष अदालत में पेश किया गया। दो दिन की रिमांड पूरी होने के बाद विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार सिंह की अदालत ने दोनों अधिकारियों को पुनः न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इसके तहत दोनों को रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेजा गया है।
दोनों अफसरों को 20 मई को ACB ने 38 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था। आरोप है कि दो प्लेसमेंट एजेंसियों ने फर्जी बैंक गारंटी देकर राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया। इस गड़बड़ी की शुरुआत छत्तीसगढ़ में दर्ज प्राथमिकी के बाद हुई जांच से मानी जा रही है। रांची ACB ने वर्ष 2024 में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी और आरोप पुष्ट होने पर कांड संख्या-9/2025 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
ACB द्वारा पूछताछ के लिए दोनों अधिकारियों को दो दिन की रिमांड पर लिया गया था। हालांकि, विनय चौबे की खराब तबीयत के चलते उनसे केवल एक दिन ही पूछताछ हो पाई। पूछताछ के दौरान उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसियों के चयन, बकाया वसूली, और बैंक गारंटी की जांच में अनियमितताओं को लेकर अधिकतर सवालों से बचते हुए स्वास्थ्य का हवाला दिया। उन्होंने खुद की किसी भी सीधी संलिप्तता से इनकार किया।
दूसरी ओर, गजेंद्र सिंह से दो दिनों तक गहन पूछताछ हुई। उन्होंने ACB को बताया कि झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के अंतर्गत सभी एजेंसियों का संचालन होता है और इनकी नियुक्ति या बैंक गारंटी से उनका कोई सीधा लेना-देना नहीं रहा। उन्होंने भी मामले में अपनी भूमिका से इंकार करते हुए खुद को निर्दोष बताया।
यह मामला झारखंड में सरकारी व्यवस्था और अफसरशाही में फैले भ्रष्टाचार की एक और बड़ी मिसाल बनकर सामने आया है। जांच के अगले चरण में ACB अन्य अफसरों और एजेंसियों की भूमिका की भी गहनता से पड़ताल करने की तैयारी में है।