Ranchi News : तहरीन की उपलब्धि हम सभी के लिए गर्व की बात है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का असली स्वरूप यही है, जब माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखाकर सशक्त बनाएं। यह बातें गुरुवार को DC मंजूनाथ भजन्त्री ने कही। वे मैट्रिक परीक्षा की रांची जिला टॉपर तहरीन फातिमा का उत्साह बढ़ाते हुए मोमेंटो देकर सम्मानित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा तहरीन रांची की बेटियों के लिए एक उदाहरण है। कठिन परिस्थितियों में भी उसने संकल्प मजबूत रखते हुए यह सफलता प्राप्त की है। मालूम हो कि तहरीन फातिमा ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की मैट्रिक परीक्षा में 97.4 प्रतिशत अंक हासिल कर रांची जिला में टॉप और राज्य स्तर पर पांचवां स्थान प्राप्त की है।
एक सामान्य परिवार से आने वाली तहरीन की यह सफलता सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। उसके पिता अब्दुल रहमान ठेले पर कपड़े बेचने का कार्य करते हैं। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। जब तहरीन को जिला प्रशासन द्वारा मंच पर सम्मानित किया गया, तो उनके माता-पिता की आंखें खुशी और गर्व से नम हो गई। इस क्रम में DC ने तहरीन के माता-पिता को भी शॉल ओढ़ाकर उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की।
इस कार्यक्रम में तहरीन के स्कूल की Vice Principal सिस्टर विक्टोरिया, शिक्षिका सिस्टर सुनीता लकड़ा और शिक्षक एंथोनी तिग्गा भी उपस्थित थे। उपायुक्त ने तहरीन की सफलता में शिक्षकों के योगदान की सराहना की और कहा कि यह सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
कार्यक्रम के दौरान जब उपायुक्त ने तहरीन से पूछा, “बेटी आगे क्या करना चाहती हो?” तो उसने आत्मविश्वास से जवाब दिया, “मैं आगे इंजीनियरिंग करना चाहती हूं और फिर UPSC की तैयारी कर IAS बनना चाहती हूं।” इस जवाब पर मौजूद सभी लोग मुस्कुरा उठे। यह उस आत्मविश्वास का परिचायक था, जो किसी भी लड़की को ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
तहरीन की सफलता पर DC ने जिला शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार और जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया कि तहरीन के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हर संभव सहायता दी जाए। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बेटियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की जो सोच है, उसे धरातल पर उतारने के लिए सभी संबंधित विभाग मिलकर कार्य करें। श्री भजन्त्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति, बालिका प्रोत्साहन योजना और कोचिंग सपोर्ट को वास्तविक रूप से बेटियों तक पहुंचाना प्राथमिकता होनी चाहिए।