Ranchi News : झारखंड सरकार फाइलेरिया (हाथीपांव) जैसी गंभीर बीमारी के उन्मूलन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है। भारत सरकार के निर्देशानुसार अब प्रत्येक वर्ष दो चरणों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम 10 फरवरी और 10 अगस्त को आयोजित किया जाता है। इसी क्रम में 10 अगस्त से झारखंड के 9 जिलों चतरा, गोड्डा, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला, हजारीबाग, जामताड़ा, पलामू, लातेहार और दुमका में IDA राउंड शुरू किया जाएगा।
इस अभियान के तहत तीन दवाएं DEC, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन दी जाएंगी। बुधवार को इस संबंध में राज्य टास्क फोर्स की बैठक आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने की।
उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि MDA के दौरान केवल दवा वितरण नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक लाभार्थी दवा प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में ही सेवन करें। इससे यह तय होगा कि दवाएं वास्तव में खाई जा रही हैं और बीमारी की रोकथाम प्रभावी हो रही है।
दवा के महत्व का व्यापक प्रचार जरूरी
अजय कुमार सिंह ने कहा कि लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है कि फाइलेरिया से बचाव के लिए MDA की दवा साल में एक बार खाना कितना जरूरी है। इसके लिए शिक्षा विभाग, ICDS, पंचायती राज, शहरी विकास, पेयजल और स्वच्छता विभाग को अभियान में भागीदारी के लिए जोड़ा जाएगा। उन्होंने आजीविका मिशन, PHED और अन्य सहयोगी विभागों से भी सक्रिय भागीदारी की अपील की।
1.27 करोड़ लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 10 अगस्त से शुरू हो रहे MDA अभियान में लगभग 1.42 करोड़ लोगों की आबादी में से 1.27 करोड़ लोगों को दवा देने का लक्ष्य है। यह कार्य 9 जिलों के 80 चिन्हित प्रखंडों में संपन्न किया जाएगा।
उन्होंने कहा कार्यक्रम की सफलता के लिए सूक्ष्म कार्ययोजना, निगरानी और सुपरविजन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अभियान के दौरान हर दिन शाम को जिला और प्रखंड स्तर पर दवा सेवन की समीक्षा बैठक होगी। इसके अतिरिक्त राज्य स्तर पर मध्य अवधि समीक्षा बैठक भी की जाएगी।
फाइलेरिया की रोकथाम ही बेहतर विकल्प
डॉ. सिंह ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर, लेकिन रोकथाम योग्य रोग है। इसका उपचार लंबा और खर्चीला होता है, लेकिन यदि समुदाय के सभी लोग साल में एक बार लगातार पांच साल तक दवा सेवन करें, तो बीमारी का पूर्ण उन्मूलन संभव है।
बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीरामल स्वास्थ्य और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज जैसे संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। उन्होंने MDA अभियान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने सुझाव साझा किए।

