Bihar News: बिहार की राजनीति में यादव परिवार हमेशा एकता की मिसाल बताया जाता रहा है, लेकिन रोहिणी आचार्य के हालिया खुलासों ने इस छवि को गहरी चोट पहुंचाई है। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर लगातार ऐसे आरोप लगाए हैं, जिनसे परिवार के भीतर तनाव, अपमान और मानसिक प्रताड़ना की तस्वीर साफ नज़र आने लगी है। उन्होंने यह तक कहा कि उन्हें चप्पल से मारने की धमकी दी गई, घर छोड़ने का दबाव बनाया गया और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश होती रही।
महिला आयोग का सख्त रुख
मामला सार्वजनिक होने के बाद बिहार राज्य महिला आयोग ने इसे बेहद संवेदनशील करार दिया है। आयोग की अध्यक्ष अप्सरा मिश्रा ने कहा कि रोहिणी की बातें सिर्फ सामान्य पारिवारिक झगड़ा नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा और महिला उत्पीड़न की श्रेणी में आती हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर रोहिणी शिकायत दर्ज करती हैं, तो कार्रवाई तुरंत शुरू होगी। यहाँ तक कि आयोग ने यह भी संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो वह स्वतः संज्ञान ले सकता है। आयोग ने यह भी सवाल उठाया कि इतने गंभीर आरोपों पर अब तक परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई।
क्या विवाद की जड़ सत्ता संघर्ष है?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यह विवाद सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि परिवार के भीतर नेतृत्व और नियंत्रण की लड़ाई का संकेत भी माना जा रहा है। रोहिणी के कई आरोप अप्रत्यक्ष रूप से तेजस्वी यादव पर इशारा करते हैं। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद तेजस्वी वैसे ही दबाव में थे, अब बहन के सार्वजनिक बयान उनकी राजनीतिक छवि को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आगे बढ़ सकता है कानूनी विवाद
अगर रोहिणी महिला आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज कर देती हैं, तो मामला सिर्फ पारिवारिक कलह नहीं रहेगा—बल्कि कानून के दायरे में आ जाएगा। इससे लालू-राबड़ी के घर पर कानूनी कार्रवाई की संभावना भी खड़ी हो सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में और गहरा सकता है और बिहार की विपक्षी राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है। रोहिणी का कहना है कि परिवार के कुछ सदस्य उन्हें घर से निकलने पर मजबूर कर रहे थे, जिसने स्थिति को पूरी तरह विस्फोटक बना दिया।
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