Ranchi News : झारखंड में वर्ष 2017 से 2024 तक चलाया गया ‘JOHAR’ यानी Jharkhand Opportunities for Harnessing Rural Growth प्रोजेक्ट राज्य में ग्रामीण विकास की दिशा में एक मिसाल बनकर उभरा है। यह परियोजना ग्रामीण महिलाओं, किसानों और आदिवासी समुदायों के लिए आशा की किरण साबित हुई है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और विश्व बैंक के सहयोग से संचालित इस योजना के तहत झारखंड राज्य के 17 जिलों के 68 प्रखंडों में लगभग 2.25 लाख ग्रामीण महिलाओं को सीधे लाभ मिला।
JOHAR परियोजना की कुल लागत ₹833.34 करोड़ थी, जिसमें 70% राशि विश्व बैंक और 30% राज्य सरकार द्वारा दी गई। जून 2024 में इस परियोजना का सफलतापूर्वक समापन हुआ, जिसमें कुल बजट का 98% खर्च किया गया।
इस परियोजना का उद्देश्य 2 लाख ग्रामीण परिवारों की आय को बढ़ाना, आजीविका के स्रोतों को विविध बनाना, और किसानों को कृषि से जुड़ी तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना था। इसके तहत 35% की वास्तविक औसत वार्षिक आय वृद्धि दर्ज की गई जो कि लक्ष्य (30%) से अधिक है।
परियोजना के अन्य प्रमुख उद्देश्य
- अनुसूचित जाति/जनजाति के 1 लाख लाभार्थी
- 70,000 महिला लाभार्थी
- 2 लाख किसानों तक कृषि सेवाओं की पहुँच
प्रमुख उपलब्धियाँ
परियोजना के दौरान 3922 Producer Groups (PGs) का गठन हुआ और 2,24,286 ग्रामीण परिवारों को इससे जोड़ा गया। इनमें से 1.55 लाख परिवार उच्च मूल्य कृषि, 92,000 पशुपालन, 18,000 मत्स्यपालन और लगभग 48,000 परिवार गैर-लकड़ी वन उत्पाद (NTFP) से जुड़े।
JOHAR के तहत गठित 21 किसान उत्पादक संगठन (FPOs) ने ₹205 करोड़ का व्यापार किया और ₹14 करोड़ का शेयर पूंजी एकत्र की। लगभग ₹2 करोड़ प्रति माह की कमाई करने वाले 35 Rural Business Hubs और 28 Livestock Service Centers को भी स्थापित किया गया।
वहीं, किसानों के लिए 39 ब्लॉकों में Custom Hiring Centres (CHC) शुरू किए गए जिससे ₹1.4 करोड़ का व्यवसाय हुआ। सिंचाई के क्षेत्र में 1131 Solar Lift Irrigation योजनाएं पूरी की गईं जिससे 6,648 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया गया। 1309 मोबाइल सोलर पंप भी वितरित किए गए जिनसे 2618 हेक्टेयर भूमि को फायदा हुआ।
परियोजना के तहत 554 पॉली हाउस नर्सरी शुरू की गईं जिससे 2.5 करोड़ soilless पौध तैयार कर किसानों को दिए गए। वहीं, मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए 8729 जलाशयों को जोड़ा गया और Reservoir Pen Culture की तकनीक अपनाई गई।
पशुपालन के तहत 300 परिवारों के साथ लेयर फार्मिंग की शुरुआत हुई जिससे 70,000 अंडों का उत्पादन प्रतिदिन होने लगा। बाद में चास ब्लॉक में 158 और परिवारों को जोड़कर अंडा उत्पादन 1 लाख प्रतिदिन तक पहुँचा। ब्रॉयलर फार्मिंग में भी 2.5 लाख पक्षियों की क्षमता विकसित की गई।
गैर-लकड़ी उत्पादों में 48,401 परिवारों को जोड़ा गया, जिसमें लाख उत्पादन से ₹15 करोड़ का व्यापार और लेमन ग्रास की खेती से ₹10.4 करोड़ की आय हुई।
इस परियोजना को सितंबर 2022 की TPRM बैठक में ‘Lighthouse Project’ घोषित किया गया। विश्व बैंक ने दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में परियोजना को Satisfactory रेटिंग दी। इसके अतिरिक्त, 2025 में World Bank South Asia Vice President’s Award और FAO की डॉक्यूमेंट्री के जरिए वैश्विक पहचान भी मिली। JOHAR ने दिखा दिया कि सही योजना, उचित मार्गदर्शन और समर्पित कार्यबल के साथ ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सकता है।

