Ranchi News : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि एक सुनियोजित योजना के तहत देश में संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। शनिवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में शुरू की गई नई वोटर सत्यापन प्रक्रिया असल में भाजपा समर्थकों की संख्या बढ़ाने और दलित, आदिवासी, ईसाई और मुस्लिम समुदाय के लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है।
भट्टाचार्य ने बताया कि अगस्त 2025 से यह प्रक्रिया झारखंड में भी लागू की जा सकती है। इस प्रक्रिया में नागरिकों से ऐसे दस्तावेज मांगे जाएंगे, जो ग्रामीण और गरीब तबकों के पास सामान्यतः उपलब्ध नहीं होते। उन्होंने कहा कि न तो आधार कार्ड (UID) और न ही वोटर आईडी कार्ड (EPIC) को मान्य दस्तावेज माना जाएगा। इसके बजाय, 2003 के बाद बने मतदाताओं को यह प्रमाणित करना होगा कि उनके माता-पिता का जन्मस्थान उसी निर्वाचन क्षेत्र में है, जिससे वे संबंधित हैं।
झामुमो नेता का कहना है कि इस व्यवस्था का उद्देश्य खास समुदायों को मताधिकार से वंचित करना है, जिससे देश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की राह तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया न केवल असंवैधानिक है, बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले के उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को संविधान से हटाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें संविधान की आत्मा पर चोट करने जैसी हैं और इसका झामुमो कड़ा विरोध करेगा।
उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस प्रकार की नीतियों के खिलाफ जागरूक रहें और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज उठाएं।