Ranchi News : शुक्रवार से इस्लामी कैलेंडर के नए वर्ष की शुरुआत हो रही है। मुहर्रम का महीना, जो इस्लामी वर्ष का पहला महीना होता है, इसी दिन से शुरू हो रहा है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह अवसर न केवल एक नया साल है, बल्कि आध्यात्मिक चिंतन और इतिहास की यादों से भी जुड़ा हुआ होता है।
हिजरी कैलेंडर, जो चंद्रमा की गति पर आधारित होता है, का यह पहला महीना बेहद खास होता है। इस्लाम धर्म में मुहर्रम को चार पवित्र महीनों में से एक माना गया है और इसे विशेष सम्मान प्राप्त है। यह महीना शांति, संयम और आत्मचिंतन का समय होता है।
इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत के साथ ही मुस्लिम समाज में नई उम्मीदों, दुआओं और इबादतों का सिलसिला शुरू हो जाता है। हालांकि इस महीने को उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि गंभीरता, इतिहास और बलिदान की भावना के साथ याद किया जाता है।
मुहर्रम के दिनों में विशेष तौर पर कर्बला की घटना को याद किया जाता है, जहां पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने सत्य, इंसाफ और धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार और साथियों के साथ बलिदान दिया था। यह महीना मुस्लिम समाज को अन्याय के खिलाफ खड़े रहने की प्रेरणा देता है।
इस्लामी कैलेंडर की यह शुरुआत हिजरत की याद दिलाती है, जब पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से मदीना की ओर प्रस्थान कर गए थे और वहीं से इस्लामी कैलेंडर की गणना की जाती है।
मुहर्रम का महीना सुन्नी और शिया दोनों समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि इसके मनाने के तरीके में थोड़े अंतर होते हैं। शिया समुदाय खासकर 10वीं मुहर्रम यानी आशूरा के दिन बड़े पैमाने पर मातम और मजलिस का आयोजन करते हैं।
स्थानीय प्रशासन की ओर से भी मुहर्रम के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कई जगहों पर जुलूस और मजलिस की अनुमति प्रशासनिक निर्देशों के अनुसार दी जा सकती है।