Social News: वॉशिंगटन से आई एक वैज्ञानिक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि धरती पर मौजूद सारी बर्फ—ग्लेशियर, हिमखंड और ध्रुवीय बर्फ की चादरें—एक साथ पिघल जाएँ, तो समुद्र का स्तर लगभग 70 मीटर तक बढ़ जाएगा। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक अनुमान है। इसे होने में भले ही सैकड़ों साल लगें, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की तेज रफ्तार बताती है कि खतरा अब पहले से कहीं अधिक वास्तविक है।
भारत के लिए यह स्थिति बेहद गंभीर होगी। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल के तटीय इलाके सबसे पहले समुद्र में समा सकते हैं। कोलकाता, चेन्नई, विशाखापट्टनम, कोच्चि और कटक जैसे शहर पूरी तरह पानी में डूबने की कगार पर होंगे। गुजरात का कच्छ क्षेत्र भी पूरी तरह समुद्री पानी में बदल सकता है।
दुनिया के बड़े शहर भी डूबेंगे, समुद्री जीवन पर भारी असर
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ तटीय जमीन डूबने की बात नहीं है—इसके आगे दुनिया की पूरी संरचना बदल जाएगी। न्यूयॉर्क, मियामी, एम्स्टर्डम, सैन फ्रांसिस्को और शंघाई जैसे बड़े शहर खत्म हो सकते हैं। मालदीव, फिजी और कई छोटे द्वीप तो नक्शे से गायब ही हो जाएंगे।
समुद्र का बढ़ता तापमान और खारापन समुद्री जीवों को सीधा नुकसान पहुंचाएगा। कोरल रीफ खत्म होने लगेंगी, जिससे पूरी समुद्री खाद्य श्रृंखला टूट सकती है। इसका असर मछली पकड़ने, तटीय अर्थव्यवस्था और व्यापार पर सीधा पड़ेगा।
जब समुद्र बढ़ेगा तो जलवायु परिवर्तन की रफ्तार और तेज हो जाएगी। दुनिया के कई हिस्से रहने लायक नहीं रहेंगे। कहीं अत्यधिक गर्मी होगी, तो कहीं बाढ़ और तूफानों की आवृत्ति बढ़ जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी स्थिति में लाखों लोग अपने घर और जमीन छोड़ने पर मजबूर होंगे, जिसे “क्लाइमेट माइग्रेशन” कहा जाता है। आने वाले दशकों में यह दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।
वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कार्बन उत्सर्जन पर काबू नहीं पाया गया, तो समुद्र स्तर बढ़ने की यह प्रक्रिया पहले से ज्यादा तेज हो सकती है।

