Ranchi News : झारखंड में एक बार फिर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस बार मामला खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग से जुड़ा है, जहां विधिक माप विज्ञान के संयुक्त नियंत्रक कृष्ण चंद्र चौधरी को गंभीर आरोपों के बाद तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
कृष्ण चंद्र चौधरी पर अपने ही सहकर्मी मीर कासिम अंसारी, जो चाईबासा में सहायक नियंत्रक हैं, के खिलाफ फर्जी पत्र भेजने और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायत मिलने के बाद विभाग ने इस मामले की जांच के लिए समिति गठित की थी। जांच में चौधरी दोषी पाए गए। उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया, परंतु उनका जवाब विभाग को संतोषजनक नहीं लगा।
बिना अवकाश स्वीकृति के मुख्यालय छोड़ा
इतना ही नहीं, चौधरी ने बिना अवकाश स्वीकृति के मुख्यालय छोड़ा और बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के अपने पद का प्रभार एक कनिष्ठ अधिकारी को सौंप दिया, जो सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन है। इन दोनों मामलों में अनियमितता और अनुशासनहीनता स्पष्ट रूप से साबित होने पर विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया।
सात साल पुरानी रिपोर्ट का दुरुपयोग कर ब्लैकमेल करने की कोशिश
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब रांची के कोतवाली थाना में कृष्ण चंद्र चौधरी के खिलाफ फर्जीवाड़ा और ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता मीर कासिम अंसारी ने आरोप लगाया कि चौधरी ने सात साल पुरानी एक रिपोर्ट का दुरुपयोग करते हुए उनके नाम से सचिव को पत्र भेजा, जिससे उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई।
GPO में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
मीर कासिम को 4 अप्रैल 2025 को इंडिया पोस्ट से एक संदिग्ध मैसेज मिला, जिसमें उनके नाम से पत्र भेजने की जानकारी थी। उन्होंने GPO रांची पहुंचकर CCTV फुटेज की जांच करवाई, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि संयुक्त नियंत्रक कृष्ण चंद्र चौधरी ही 4 अप्रैल को स्पीड पोस्ट कराने आए थे।
7 अप्रैल को यह फुटेज मिलने के बाद मीर कासिम ने 9 अप्रैल को विभागीय सचिव को एक विस्तृत आवेदन देकर पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद विभाग हरकत में आया और जांच समिति का गठन हुआ।
साजिश और छवि धूमिल करने का आरोप
मीर कासिम अंसारी ने आरोप लगाया कि यह सब एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, ब्लैकमेल करना और विभाग की छवि को खराब करना था। उन्होंने कहा कि इससे उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।
इस पूरे घटनाक्रम को सरकार ने गंभीरता से लिया है और जांच के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए चौधरी को निलंबित कर दिया गया है। अब इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।