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Interesting News: कल्पना कीजिए कि एक बच्चा अस्पताल के बिस्तर पर लेटा है या घर पर बीमार है, लेकिन उसकी पढ़ाई का एक भी चैप्टर मिस नहीं हो रहा। इतना ही नहीं, वह क्लासरूम में अपने दोस्तों की शरारतों और टीचर के लेक्चर का हिस्सा भी बना हुआ है। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि ‘नो आइसोलेशन’ नामक टेक कंपनी द्वारा तैयार किए गए AV1 रोबोट का कमाल है।
अकेलेपन और अनुपस्थिति की जंग में रोबोटिक योद्धा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में अकेलेपन को वैश्विक स्वास्थ्य खतरा घोषित किया है। इंग्लैंड जैसे देशों में 19 प्रतिशत छात्र लंबी बीमारी के कारण स्कूल से दूर हैं। इस गंभीर समस्या को देखते हुए नार्वे की इस कंपनी ने AV1 रोबोट पेश किया है। यह छोटा सा रोबोट उन मासूमों के लिए उम्मीद की किरण है, जो गंभीर चिकित्सा कारणों से स्कूल की दहलीज नहीं लांघ पा रहे।
कैसे काम करता है यह ‘छोटा उस्ताद’?
मात्र 12 इंच लंबा और 1.5 किलो वजन वाला यह रोबोट छात्र की डेस्क पर उसकी जगह बैठता है। छात्र अपने टैबलेट या स्मार्टफोन के जरिए घर बैठे ही इसे कंट्रोल करता है। इस रोबोट में लगा कैमरा और स्पीकर छात्र को क्लासरूम का ‘लाइव’ अनुभव देते हैं। छात्र घर बैठे ही रोबोट के सिर को 360 डिग्री घुमाकर पूरी क्लास देख सकता है, सवाल पूछ सकता है और चर्चा में भाग ले सकता है। यह रोबोट पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड लाइवस्ट्रीम पर काम करता है, जिससे प्राइवेसी और सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
सिर्फ पढ़ाई नहीं, जुड़ाव भी जरूरी
कंपनी का मानना है कि स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं है, बल्कि यह समाजीकरण (Socialization) का केंद्र भी है। AV1 रोबोट सुनिश्चित करता है कि बीमार बच्चा अपने दोस्तों से कटा हुआ महसूस न करे। 4G और वाई-फाई कनेक्टिविटी से लैस यह रोबोट लंच ब्रेक में भी बच्चों के बीच मौजूद रहता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक ऐसा क्रांतिकारी कदम है, जो तकनीक को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ता है। अब बीमारी शिक्षा के आड़े नहीं आएगी, क्योंकि छात्र की जगह उसका रोबोट ‘हाजिर’ रहेगा।
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