मक्का अल मुकर्रमा (Makkah al-Mukarramah) से विशेष
Mecca : हज यात्रा, इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक, न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है बल्कि यह एक अत्यंत भावनात्मक और अनुभवात्मक यात्रा भी है। हर साल लाखों मुसलमान दुनियाभर से मक्का शरीफ पहुंचते हैं, ताकि वे अपने दिल की सच्चाई और आत्मा की शुद्धि के साथ अल्लाह के सामने समर्पण कर सकें। नेशनल सीनियर सोशल एक्टिविस्ट मोहम्मद नौशाद ने इस बार की हज यात्रा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं, जो इस यात्रा की गहराई और वास्तविकता को उजागर करती हैं।
तापमान और स्वास्थ्य संबंधी चुनौती
मक्का में गर्मी काफी तीव्र होती है, जो भारत से आने वाले हाजियों के लिए असहज हो सकती है। डॉक्टरों की सलाह है कि सुबह 10 से शाम 4 बजे तक धूप से बचा जाए, लेकिन धार्मिक स्थलों पर जाने की मजबूरी में लोग बाहर निकलते हैं, जिससे थकावट और बीमारियां हो जाती हैं।
ट्रांसपोर्ट की समस्याएं
टैक्सी चालकों द्वारा मनमाने पैसे मांगना आम है। 4-6 किलोमीटर की दूरी के लिए वे ₹1000 से ₹2500 तक वसूलते हैं, जिससे कई हाजी परेशान हो जाते हैं। कुछ हाजी मजबूरी में पैदल चलते हैं, जिससे उनके पैरों में छाले तक पड़ जाते हैं।
सेवा और व्यवस्थाएं
इसके बावजूद स्थानीय लोग हाजियों की खूब इज्जत और सेवा करते हैं। सऊदी सरकार की ओर से ट्रैफिक व्यवस्था बेहतरीन है और पुलिस सेवा भाव से काम करती है। जगह-जगह पानी मुफ्त में वितरित किया जाता है, जिससे प्यास बुझाने की कोई चिंता नहीं रहती।
शानदार प्रबंधन
मीना और अराफात में लाखों हाजियों के लिए स्नान और शौचालयों की व्यवस्था, एयर कंडीशन बसें, पानी वाले पंखे, मुफ्त भोजन, नाश्ता, चाय, जूस, ब्लैंकेट, छाते और वाटर बोतल जैसी चीजें बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराई जाती हैं।
हज का आध्यात्मिक पक्ष
हज केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक आत्मा को झकझोर देने वाला अनुभव है। यहां लाखों लोग एक साथ रहकर, नम आंखों से अल्लाह के सामने दुआ करते हैं-अपने गुनाहों की माफी, इंसानियत की हिफाजत और हक की जीत के लिए। यह यात्रा अपने आप में एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में पूरी तरह से व्यक्त करना मुश्किल है।
मोहम्मद नौशाद
नेशनल सीनियर सोशल एक्टिविस्ट