Jharkhand News: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के घने सारंडा जंगल में स्थित टाटा स्टील की विजय-टू आयरन ओर माइंस की लीज रविवार से समाप्त हो गई है। इस खबर ने न केवल कंपनी प्रबंधन बल्कि खदान से जुड़े हर वर्ग के लोगों की नींद उड़ा दी है। खदान में काम करने वाले मजदूर, ट्रक मालिक-चालक, हेल्पर, वेंडर कंपनियां, छोटे दुकानदार और स्थानीय व्यवसायी—सभी भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
रोजगार पर गहरा संकट
अनुमान के मुताबिक इस खदान से सीधे तौर पर करीब डेढ़ हजार लोगों का रोजगार जुड़ा है, जबकि परोक्ष रूप से यह संख्या चार से पांच हजार तक पहुंचती है। अगर खदान संचालन ठप हो गया तो केवल एक उद्योग का बंद होना ही नहीं बल्कि पूरे सारंडा और लोहांचल इलाके की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा।
खदान में इस समय करीब 600 छोटे-बड़े वाहन माल ढुलाई में लगे हैं। इनमें से अधिकांश गाड़ियां बैंक लोन पर खरीदी गई हैं। ट्रक मालिकों का कहना है कि यदि खदान बंद हो गई तो गाड़ियां खड़ी रह जाएंगी और बैंक जब्ती की कार्रवाई शुरू कर देंगे। इससे चालकों, हेल्परों और मैकेनिकों की रोज़ी-रोटी छिन जाएगी।
स्थानीय कारोबार पर असर
वाहनों के रुकने से केवल ट्रांसपोर्ट सेक्टर ही प्रभावित नहीं होगा बल्कि उससे जुड़े टायर-पार्ट्स की दुकानें, पेट्रोल पंप, ढाबे और होटल भी प्रभावित होंगे। यह प्रभाव धीरे-धीरे पूरे स्थानीय बाजार तक पहुंचेगा। दुकानदारों को सामान बेचना मुश्किल होगा, मकानों का किराया कम हो जाएगा और यहां तक कि बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा।
मजदूरों की बढ़ी चिंता
विजय-टू माइंस में टाटा स्टील के साथ कई वेंडर कंपनियां भी काम करती हैं। इनमें बीएस माइनिंग के करीब 300 मजदूर, क्रेशर के 150, श्री साईं कंपनी के 150 और अन्य वेंडरों के कुल मिलाकर 800 से अधिक संविदा मजदूर शामिल हैं। यह सभी मजदूर वर्षों से इसी काम पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि अगर खदान बंद हो गई तो उन्हें मजबूरन गांव लौटकर खेती करनी पड़ेगी। लेकिन खेती से परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं है।
स्थायी कर्मचारियों में भी डर
भले ही टाटा स्टील के स्थायी कर्मचारी अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, लेकिन उन्हें भी डर है कि लीज नवीनीकरण में देरी हुई तो उत्पादन पर असर पड़ेगा और उनकी नौकरी भी संकट में आ सकती है।
सामाजिक संकट की आशंका
ग्राम मुंडा कानूराम देवगम ने कहा कि बेरोजगारी केवल जेब खाली नहीं करती बल्कि जंगल और समाज को भी तबाह कर देती है। अगर लोग बेरोजगार हुए तो वे मजबूरी में लकड़ी तस्करी, खनिज चोरी और अपराध की ओर बढ़ सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब पेट खाली होता है तो आदमी कोई भी काम कर लेता है।
क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव
विजय-टू माइंस का बंद होना सिर्फ एक खदान का बंद होना नहीं है बल्कि यह पूरा इलाका प्रभावित करेगा। बैंक लोन की ईएमआई रुकने पर जब्ती और रिकवरी की कार्रवाई तेज होगी। छोटे व्यवसायियों को दुकानें बंद करनी पड़ेंगी। स्थानीय बाजारों में गिरावट आएगी, मकानों की मांग घटेगी और शिक्षा के अवसर भी प्रभावित होंगे।

