Ranchi : सिरमटोली फ्लाईओवर रैम्प पर प्रस्तावित निर्माण कार्य को लेकर लंबे समय से चल रहे आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन ने अब असर दिखाया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया है।आर्यभट्ट सभागार, रांची में आज केंद्रीय सरना समिति और चडरी सरना समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इसमें आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा और विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के पश्चात आयोग की टीम ने स्वयं केन्द्रीय सरना स्थल, सिरमटोली फ्लाईओवर रैम्प का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान डॉ. आशा लकड़ा ने माना कि इस धार्मिक स्थल पर रैम्प का निर्माण आदिवासी समाज की धार्मिक आस्था और परंपरा पर सीधा हमला है। उन्होंने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जब तक आयोग की जांच प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक न तो निर्माण कार्य जारी रहेगा और न ही रैम्प का उद्घाटन किया जाएगा।
इस निर्णय को आदिवासी समाज ने एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा है। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि पिछले चार-पांच महीनों से आदिवासी समाज लगातार चरणबद्ध आंदोलन कर रहा था, लेकिन हेमंत सोरेन सरकार, जो खुद को आदिवासी हितैषी कहती है, ने इस मुद्दे पर पूर्ण रूप से चुप्पी साधे रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्माण कार्य पुलिस बल की मदद से जबरन कराया गया है, जो आदिवासी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास है।
बबलू मुंडा ने बताया कि दिनांक 4 अप्रैल 2025 को दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों से मिलकर एक मांग पत्र सौंपा गया था, जिसमें धार्मिक स्थल की रक्षा और निर्माण कार्य रोकने की मांग की गई थी।
कार्यक्रम में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा के साथ-साथ मुख्य पहान जगलाल पहान, महादेव टोप्पो, सुरेंद्र लिंडा, गीताश्री उरांव, गंगोत्री कुजूर सहित सैकड़ों आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस निर्णय से आदिवासी समाज में आशा और विश्वास का माहौल बना है कि उनके धार्मिक स्थलों की गरिमा और अस्तित्व की रक्षा अब संभव है।