
मुजफ्फर हुसैन
रांची। अन्य जातियों एवं जनजातियों की तरह मुस्लिमों में भी अंत्येष्ठी संस्कार है। मृत्यु के बाद होने वाले इस संस्कार को बड़ी सावधानीपूर्वक पैगंबर के बताये हुए नियमानुसार पूर्ण किया जाता है। मुसलमानों का ऐसा विश्वास है कि मृत व्यक्ति कयामत के दिन उठकर खड़ा हो जायेगा। विलियम इरविन अपनी पुस्तक स्टोरिया दि मोगोर (निक्काेलो मनुची) भाग-3 में लिखते हैं इस संस्कार का शोक 40 दिन तक मनाया जाता है लेकिन शादाब हुसैन के घरवाले इस संस्कार से हमेशा के लिए वंचित रह जाते यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई नहीं करते। दरअसल, शादाब हुसैन कसाई मुहल्ला, डाल्टनगंज के स्थायी निवासी हैं और सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत की राजधानी दम्माम में कार्यरत थे। दम्माम विश्व में प्राकृतिक ईंधन तेल का सर्वाधिक समृद्ध क्षेत्र है। यह इस्टर्न प्रोविंस का सबसे बड़ा शहर है और सऊदी अरब में रियाद एवं जेद्दा के बाद तीसरा सबसे बड़ा शहर है। इस शहर में लगभग 52 दिन पूर्व शादाब की मौत हो गई थी। परिजनों को जैसेे इसकी सूचना मिली, वे मृतक के अंतिम अंत्येष्ठी को पूरा करने के लिए डेथ बॉडी को दम्माम से झारखंड वापस लाना चाहते थे और इसके लिए वेे दिन-रात यहां-वहां गुहार लगाते दिखे। बावजूद कोई इनकी मदद को आगे नहीं आया और परिजन कई दिनों तक भटकते रहे।
मसीहा बनकर सामने आये लाडलेे
ऐसी परिस्थिति में झामुमाेे नेता लाडले खान परिजनों के लिए मसीहा बनकर सामने आए। जैैसे ही उन्हें परिजनों की हालात का पता चला, उन्हें लेकर वह स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी से मिले और मदद की गुहार लगाई। इतना ही नहीं परिजनों को लेकर वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिले और मृतक शादाब की अंतिम अंत्येष्ठी को पूरा करने का हवाला देकर डेथ बॉडी परिवार के आंगन में लाने की इच्छा जतायी।
मुख्यमंत्री ने परिजनों के आंसू पोछे, दिलाया भरोसा

मुख्यमंत्री हेेमंत सोरेन मामले काे लेकर काफी संवेदनशील दिखे। उन्होंने परिजनों के आंसू पोछे और उन्हें भरोसा दिलाया कि शादाब का शव वह लाकर रहेंगे और परिजन उनका अंतिम अंत्येष्ठी कर पायेंगे। हुआ भी यही। मुख्यमंत्री की पहल पर सऊदी अरब सरकार ने शादाब के शव को बड़े एहतराम के साथ भारत भेज दिया। इसके बाद परिजन समेत पूरा गांव शादाब का अंतिम दर्शन कर सका। शादाब की पत्नी और उसके तीन छोटे मासूम बच्चे उन्हें देख सके। शुक्रवार 7 मार्च 2025 को डाल्टनगंज में अंतिम अंत्येष्ठी केे कार्य को पूरा करते हुए परिजनाें ने शादाब को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। मुख्यमंत्री के इस कार्य की चहुंओर सराहना की जा रही है।
क्या है मुसलमानों मेें अंत्येष्ठी संस्कार
मुसलमानों मेें अंत्येष्ठी संस्कार मय्यत (शव) के लिए कब्र खाेदना, मय्यत को स्नान कराना, कफन पहनाना, नमाज-ए-जनाजा अदा करना-कराना, कब्र में मय्यत को उतारना, दुआ-ए-जनाजा पढ़ना एवं मिट्टी देना आदि पवित्र संस्कार माने जाते हैं।
लाडले खान, झामुमो नेता सह समाजसेवी

शादाब के परिजन काफी परेशान और निराश थे। जानकारी होने पर मैंने शव को लाने के लिए मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की और परिजनों से भी मिलवाया। अबुआ सरकार के नेेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने मामले को लेकर जो तत्परता एवं सूझ-बूझ दिखाई है, नि:संदेह वह सराहनीय है। इस घटना काे ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में देखा जायेगा। परिजन एवं क्षेेत्र के लोग सरकार से काफी खुश हैं।