Jharkhand News: झारखंड के रामगढ़ जिले के कुजू ओपी क्षेत्र स्थित करमा कोल परियोजना में शनिवार सुबह हुए हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। यहां अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से चार मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों और मृतकों के परिजनों में भारी आक्रोश फैल गया। शवों के साथ परिजन और ग्रामीण सीसीएल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठ गए और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
ग्रामीणों का आरोप था कि सीसीएल के अधिकारी अपनी लापरवाही छिपाने के लिए शवों को मौके से हटाने की कोशिश कर रहे थे। जबरन पेलोडर लगाकर शव हटाने का प्रयास किया जा रहा था, जिससे लोगों में आक्रोश और बढ़ गया। इसके विरोध में ग्रामीणों ने मृतकों के शव को करमा परियोजना कार्यालय के सामने रखकर आंदोलन शुरू कर दिया, जो देर रात तक चला।
मुआवजे पर बनी सहमति, आंदोलन समाप्त
लगातार विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार सीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को झुकना पड़ा। शनिवार की रात करीब दो बजे तक तीनों पक्षों—सीसीएल, जिला प्रशासन और परिजनों के बीच चली त्रिपक्षीय वार्ता के बाद मुआवजे को लेकर सहमति बनी।
इस समझौते के तहत प्रत्येक मृतक के परिजन को कुल 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा, जिसमें से 1.70 लाख रुपये सीसीएल प्रबंधन देगा और शेष 30 हजार रुपये जिला प्रशासन की ओर से मिलेगा। इस प्रकार चारों मृतकों के परिजनों को कुल 8 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
इतना ही नहीं, प्रत्येक मृतक के परिवार से एक सदस्य को आउटसोर्सिंग के तहत नौकरी देने का भी आश्वासन दिया गया। यह समझौता पत्र मृतकों के परिजनों गुलशन करमाली, बुधन मांझी, मो. मुमताज और विजय करमाली ने हस्ताक्षर करके स्वीकार किया। वहीं सीसीएल की ओर से प्रबंधक (कार्मिक) अविनाश कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार सिंह और करमा परियोजना पदाधिकारी रामेश्वर मुंडा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों की पहचान
करमा परियोजना में हुए इस दर्दनाक हादसे में जिन चार मजदूरों की जान गई, उनकी पहचान मो. इम्तियाज, रामेश्वर मांझी, वकील करमाली और निर्मल मुंडा के रूप में हुई है। ये सभी स्थानीय निवासी थे और अवैध रूप से खनन के लिए अंदर गए थे, जहां चाल धंसने से उनकी जान चली गई।
कैसे हुआ हादसा?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, करमा के महुआतुंगड़ी गांव के कुछ लोग शनिवार तड़के अवैध रूप से कोयला खनन के लिए सीसीएल के लीज एरिया में दाखिल हुए थे। खनन के दौरान जमीन का बड़ा हिस्सा अचानक धंस गया और चार मजदूर उसके नीचे दब गए। हादसे की जानकारी मिलते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
सीसीएल प्रबंधन पर आरोप लगा कि उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की और हादसे को सामान्य दिखाने के लिए शवों को मशीन से हटाने का प्रयास किया। इससे नाराज ग्रामीणों ने तत्काल विरोध जताया और शवों को परियोजना कार्यालय के बाहर रखकर धरना शुरू कर दिया।
राजनीतिक दलों की भूमिका
हादसे के बाद स्थिति को संभालने के लिए कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों के साथ मिलकर सीसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन पर मुआवजे को लेकर दबाव बनाया। त्रिपक्षीय बातचीत में सभी पक्षों की सहमति बनने के बाद आंदोलन समाप्त हुआ और परिजनों ने शवों का अंतिम संस्कार करने की सहमति दे दी।
अब भी उठ रहे हैं कई सवाल
इस हादसे ने सीसीएल की लापरवाही और अवैध खनन पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर स्थानीय लोग बेरोजगारी और गरीबी के चलते अपनी जान जोखिम में डालकर अवैध खनन करते हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी की निगरानी प्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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