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India News: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा मनरेगा (MGNREGA) का नाम बदलकर उसे ‘विकसित भारत-जी राम जी’ करने और उसके मूल स्वरूप में बदलाव करने के फैसले ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस कदम को ग्रामीण भारत, विशेषकर दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की रीढ़ तोड़ने वाला बताया है। लोकसभा में भारी हंगामे के बीच पारित हुए इस नए विधेयक को राहुल गांधी ने ‘सुधार’ नहीं, बल्कि ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों का हनन करार दिया है।
“अधिकार से राशनिंग की ओर”: राहुल गांधी का कड़ा प्रहार
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक लंबा पोस्ट साझा करते हुए अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार रही है, जिसने मजदूरों को ‘मांग-आधारित’ रोजगार की गारंटी दी थी। लेकिन नया ‘जी राम जी’ (विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन) बिल इस गारंटी को खत्म कर इसे दिल्ली से नियंत्रित होने वाली एक ‘राशन वाली योजना’ में बदल देगा। राहुल ने आरोप लगाया कि यह बिल पूरी तरह से राज्य-विरोधी और गांव-विरोधी है, जो सत्ता के केंद्रीकरण का प्रतीक है।
मजदूरों की ‘मोलभाव’ करने की ताकत पर हमला
राहुल गांधी के अनुसार, मनरेगा ने ग्रामीण मजदूरों को वह ताकत दी थी जिससे वे शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें और मजबूरी में होने वाले पलायन को रोक सकें। उन्होंने कोविड काल का उदाहरण देते हुए कहा कि जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ठप थी, तब मनरेगा ने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज से बचाया था। इसमें महिलाओं की भागीदारी 50% से अधिक रही है। राहुल ने चेतावनी दी कि जब रोजगार कार्यक्रम में राशनिंग (सीमित कोटा) शुरू होगी, तो सबसे पहले दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और गरीब ओबीसी समुदाय ही बाहर होंगे।
संसदीय प्रक्रिया की अनदेखी: “ज़बरदस्ती पास हुआ बिल”
राहुल गांधी ने बिल को पास करने के तरीके पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतने महत्वपूर्ण कानून को, जो करोड़ों जिंदगियों को प्रभावित करता है, बिना किसी स्थायी समिति (Standing Committee) की जांच या सार्वजनिक सुनवाई के संसद में ‘ज़बरदस्ती’ पास कर दिया गया। विपक्ष की मांग के बावजूद सरकार ने इसे विशेषज्ञ परामर्श के लिए नहीं भेजा।
राहुल गांधी ने अपने बयान के अंत में एक बड़े आंदोलन का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और पूरा विपक्ष इस “गरीब विरोधी” कानून के खिलाफ मजदूरों, पंचायतों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर एक देशव्यापी मोर्चा बनाएगा। उन्होंने संकल्प लिया कि वे सरकार को ग्रामीण गरीबों की इस आखिरी सुरक्षा पंक्ति को नष्ट नहीं करने देंगे और इस कानून की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेंगे।

