Astrology News: हर महीने कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि पर आने वाली अमावस्या को हिंदू मान्यताओं में बेहद पवित्र माना गया है। इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने की मान्यता सदियों से चली आ रही है। धार्मिक ग्रंथ कहते हैं कि अमावस्या पर किया गया तर्पण आत्मा को शांति देता है और परिवार पर पितरों का संरक्षण बना रहता है।
दृक पंचांग के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 19 नवंबर की सुबह 9:43 बजे से शुरू होकर 20 नवंबर दोपहर 12:16 बजे तक रहेगी। यह पूरा समय तर्पण, दान और पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
मार्गशीर्ष का खास उल्लेख- भगवान कृष्ण ने भी बताया श्रेष्ठ
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष महीने को विशेष माना है- “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्।” इस महीने की अमावस्या पर किए गए तर्पण का फल कई गुना बढ़ जाता है। पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में स्थिरता, सुख और समृद्धि बनी रहती है।
यही कारण है कि इस दिन जल, दान और जप के साथ काले तिल से तर्पण का महत्व और बढ़ जाता है।
काले तिल का रहस्य- ऊर्जा, तृप्ति और आध्यात्मिक शक्ति
अब बड़ा सवाल- तर्पण में काले तिल को इतना महत्व क्यों दिया जाता है? धार्मिक मत के अनुसार काले तिल पितरों को बेहद प्रिय माने गए हैं। माना जाता है कि उनमें सभी तीर्थों का पुण्य समाहित होता है।
जहां गंगाजल उपलब्ध न हो, वहां काले तिल मिलाया हुआ पानी गंगा जल के बराबर फल देता है। काले तिल में सूर्य और अग्नि की ऊर्जा होती है, जो पितरों तक सूक्ष्म रूप में पहुंचती है और उनकी तृप्ति का कारण बनती है।
काले रंग का संबंध शनि और यम दोनों से है, इसलिए माना जाता है कि यह दोषों को कम करता है- पितृ दोष, संतान दोष, धन हानि और परिवार की बाधाओं को शांत करता है।
पीपल में जल अर्पण और दीपक जलाना भी शुभ
अमावस्या पर पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना और दीया जलाना पितरों को प्रसन्न करने का एक और पुराना तरीका है। मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और निगेटिव शक्तियाँ दूर रहती हैं।

