Social News: दक्षिण भारत के कई महानगर कैंसर के नए हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहे हैं। विशेषकर तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद को स्तन कैंसर की राजधानी बताया गया है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, यहां प्रति एक लाख महिलाओं में 54 महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं, जो देशभर में सबसे ऊँची दर है। इसके बाद बेंगलुरु का स्थान आता है, जहां यह दर 46.7 दर्ज की गई है।
स्टडी के अनुसार, वर्ष 2015 से 2019 के बीच देशभर के 43 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों से जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर स्तन कैंसर की सबसे ज्यादा दर वाले शीर्ष छह क्षेत्रों में से चार दक्षिण भारत से हैं। चेन्नई में प्रति एक लाख महिलाओं पर 45.4, जबकि केरल के अलाप्पुझा और तिरुवनंतपुरम में क्रमशः 42.2 और 40.7 महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित हैं। यह स्थिति दक्षिण भारत, खासकर शहरी इलाकों को स्तन कैंसर महामारी का केंद्र बना रही है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में देशभर में 2,38,085 महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होंगी। यह महिलाओं में सबसे आम कैंसर बन चुका है और इसके बढ़ने के पीछे स्थानीय जीवनशैली, खानपान और पर्यावरणीय कारक प्रमुख वजह बताए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि देर से शादी, कम मातृत्व दर, मोटापा और शहरी तनाव जैसे कारण भी इसकी दर को बढ़ा रहे हैं। सिर्फ स्तन कैंसर ही नहीं, बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर में भी चिंताजनक पैटर्न सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर के मामलों में पूर्वोत्तर भारत आगे है। मणिपुर की राजधानी आइजोल में प्रति एक लाख महिलाओं में 33.7 फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं, जबकि पूरे राज्य का औसत 24.8 है।
दक्षिण भारत में भी यह स्थिति गंभीर है, जहां हैदराबाद और बेंगलुरु में क्रमशः 6.8 और 6.2 दर दर्ज की गई है। पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर की उच्च दर केरल में देखी गई, जहां कन्नूर, मालाबार, कासरगोड, अलाप्पुझा और कोल्लम जैसे जिलों में मामले तेजी से बढ़े हैं। श्रीनगर में भी पुरुषों में यह दर बेहद अधिक यानी 39.5 प्रति एक लाख पाई गई है। ओरल कैंसर के मामले में हैदराबाद और बेंगलुरु प्रमुख रूप से प्रभावित शहरों में शामिल हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर अहमदाबाद शीर्ष स्थान पर है।

