Ranchi News : राज्य अल्पसंख्यक आयोग झारखंड सरकार के सदस्य वारिस कुरैशी ने केंद्र सरकार की उस पहल की सराहना की है जिसमें भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर अपने विचार रखने के लिए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग देशों में भेज रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत की प्रतिष्ठा और सुरक्षा के लिए जरूरी है। लेकिन उन्होंने एक बेहद अहम सवाल भी उठाया – जब देश के भीतर ही सांप्रदायिकता, नफरत और हिंसा फैल रही हो, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति और सद्भावना का संदेश कितना प्रभावी होगा?
श्री कुरैशी ने कहा आज भारत में धार्मिक कट्टरता और सामाजिक वैमनस्य तेजी से बढ़ रहा है। खासकर बीजेपी शासित राज्यों में हालात अधिक चिंताजनक हैं। मुसलमानों और दलितों को गौ हत्या के नाम पर पीट-पीट कर मारा जा रहा है, क्रिश्चियन समुदाय को धर्मांतरण के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है। चर्चों में तोड़फोड़ और पादरियों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे ही मौके पर रामनवमी और होली जैसे त्योहारों के दौरान मस्जिदों को निशाना बनाना भी अब आम हो गया है।
इन घटनाओं की वीडियोज सोशल मीडिया पर तेजी से फैलती हैं, जिससे देश की नकारात्मक छवि पूरी दुनिया में बनती है। हाल ही में नैनीताल की होटल इंडस्ट्री को विदेशी पर्यटकों की बुकिंग रद्द होने से कई सौ करोड़ का नुकसान हुआ, क्योंकि विदेशों में भारत को असुरक्षित देश के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
श्री कुरैशी ने सुझाव दिया कि जैसे विदेशों में भारत की छवि सुधारने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजा जा रहा है, वैसे ही देश के अंदर भी धार्मिक-सामाजिक मुद्दों को सुलझाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रभावित राज्यों में भेजे जाएं। यह समिति धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर काम करे ताकि भारत की सच्ची पहचान, अनेकता में एकता, बहु-धर्मी संस्कृति और सामाजिक समरसता को मजबूत किया जा सके। यह समय है जब केवल बाहरी आतंकवाद नहीं, बल्कि आंतरिक कट्टरता और नफरत को भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाए, वरना देश की अखंडता और विश्व में भारत की छवि पर गहरा असर पड़ेगा।

