Health News: भारत में लगभग 70 से 90 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं और उनमें से अधिकतर को इसका एहसास तक नहीं होता। लोग अपनी थकान, हड्डियों के दर्द या बाल झड़ने जैसी समस्याओं को सामान्य मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि इनके पीछे विटामिन डी की कमी छिपी हो सकती है।
लगातार थकान रहना, पर्याप्त नींद और अच्छा भोजन करने के बाद भी थका-थका महसूस करना इस कमी का प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा हड्डियों और पीठ में दर्द, चोट का देर से भरना, मूड का बार-बार खराब होना, डिप्रेशन और तेजी से बाल झड़ना भी इसके संकेत हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा न होने से कैल्शियम अवशोषित नहीं हो पाता, जिससे हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और दर्द बढ़ जाता है। वहीं, यह पोषक तत्व शरीर में सूजन और इंफेक्शन को नियंत्रित करने में मदद करता है, इसलिए घाव भी देर से भरते हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है और लोग बिना वजह चिंता या उदासी महसूस करने लगते हैं।
विटामिन डी की कमी को पूरा करने का सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है सूरज की रोशनी। सुबह-सवेरे 15 से 20 मिनट तक धूप में बैठना शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि उस समय त्वचा पर सनस्क्रीन न लगा हो ताकि शरीर विटामिन डी बना सके। आहार में भी कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए जिनसे विटामिन डी की पूर्ति हो सके। अंडा, खासतौर पर उसका योक, विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। वहीं नॉन-वेजिटेरियन लोगों के लिए साल्मन मछली बेहद फायदेमंद है क्योंकि 100 ग्राम साल्मन में दैनिक जरूरत का लगभग दो तिहाई विटामिन डी पाया जाता है। संतरे का जूस भी उपयोगी है, खासकर बाजार में मिलने वाले फोर्टिफाइड जूस, हालांकि ताजा संतरे का जूस पीना ज्यादा लाभकारी है। इसके अलावा गाय का दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद भी विटामिन डी का अच्छा स्रोत हैं। इनसे पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को लगातार ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो उसे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और अपनी डाइट में बदलाव लाना चाहिए। समय पर ध्यान देकर न केवल हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है बल्कि शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाया भी जा सकता है। मालूम हो कि विटामिन डी हमारे शरीर के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, जिसे “सनशाइन विटामिन” भी कहा जाता है क्योंकि यह सूरज की रोशनी से शरीर में स्वाभाविक रूप से बनता है। यह हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों को मजबूत बनाने के साथ-साथ कैल्शियम के अवशोषण में अहम भूमिका निभाता है।

