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Home»States»Jharkhand»डॉ. बिंग बिक्रम बुड़ीउली ने पहली बार ‘हो’ भाषा में AI पर की पीएचडी
Jharkhand

डॉ. बिंग बिक्रम बुड़ीउली ने पहली बार ‘हो’ भाषा में AI पर की पीएचडी

डॉ. बिंग बिक्रम बुड़ीउली ने भुवनेश्वर स्थित विश्वविद्यालय से हो भाषा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग पर पीएचडी पूरी की। इस शोध ने स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण में एआई के प्रभावी उपयोग की नई दिशा दी है।
Shamsul HaqBy Shamsul HaqSeptember 27, 2025Updated:September 27, 2025No Comments2 Mins Read
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Chaibasa News: कोल्हान सदर के राजस्व ग्राम बड़कुंडिया निवासी डॉ. बिंग बिक्रम बुड़ीउली ने भुवनेश्वर के किस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी से “हो भाषा में भाषा रखरखाव हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पहचान का अनुप्रयोग” विषय पर अपनी पीएचडी पूरी कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह हो भाषा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पहली पीएचडी मानी जाती है।

हो भाषा में AI पर इतिहास

डॉ. बिंग बिक्रम बुड़ीउली।

डॉ. बुड़ीउली ने अपने शोध में विशेष रूप से हो भाषा के लिए पहला स्वचालित वाक् पहचान (ASR) डेटासेट बनाया है, जो कम संसाधन वाली भाषाओं के लिए एक अप्रतिम संसाधन है। इस प्रयास से न केवल हो भाषा का संरक्षण संभव होगा, बल्कि इसे डिजिटल युग में सुरक्षित रखने और संवर्धित करने में भी मदद मिलेगी।

स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण में कराया महत्वपूर्ण शोध

शोध के मार्गदर्शक डॉ. यशोबंत दास और डॉ. सत्य रंजन दाश ने इस महत्वपूर्ण कार्य में उनका मार्गदर्शन किया। डॉ. बुड़ीउली हो समाज लाइव न्यूज के संस्थापक भी हैं। उनका परिवार वर्ष पहले विस्थापन के कारण उड़ीसा के मयूरभंज जिले में बसे थे।

यह उपलब्धि न केवल हो समुदाय के लिए बल्कि अन्य स्वदेशी भाषाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जिससे इंजीनियरिंग, टेक्स्ट कॉर्पोरा और स्पीच रिकग्निशन की तकनीकें स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन में उपयोग हो सकेंगी।

बिर सिंह बुड़ीउली, अध्यक्ष ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान, ने इस उपलब्धि पर डॉ. बिंग बिक्रम को बधाई दी और बताया कि यह शोध हो समाज की संस्कृति, भाषा और लिपि को आधुनिक युग में मजबूत बनाएगा।

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