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India News: चमोली के पीपलकोटी में निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना की सुरंग में हुए हादसे को लेकर प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। बुधवार को जारी बयान में जिला प्रशासन ने उन खबरों का खंडन किया है जिनमें इसे ‘रेलवे ट्रेन’ की टक्कर बताया जा रहा था। प्रशासन ने साफ किया कि यह हादसा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की अपनी निजी ‘लोको ट्रॉलियों’ के आपस में टकराने से हुआ था, जिसका भारतीय रेलवे से कोई लेना-देना नहीं है।

मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान, 109 मजदूर थे टनल में मौजूद

मंगलवार की रात जब सुरंग के भीतर शिफ्ट बदली जा रही थी, उस वक्त कुल 109 श्रमिक वहां मौजूद थे। हादसे की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली जिलाधिकारी से फोन पर बात की और राहत कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि घायलों के उपचार में कोई कमी न रहे और जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत हायर सेंटर रेफर किया जाए। जिलाधिकारी गौरव कुमार और एसपी सुरजीत सिंह पंवार ने देर रात जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुँचकर घायलों का हालचाल जाना।

राहत की खबर: अधिकांश मजदूरों को मिली अस्पताल से छुट्टी

प्रशासन द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, यह हादसा जितना भयानक दिख रहा था, समय पर मिले उपचार ने उतनी ही बड़ी राहत दी है। कुल 70 श्रमिकों को गोपेश्वर जिला अस्पताल लाया गया था, जिनमें से 66 मजदूरों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। फिलहाल केवल 4 मजदूर अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं, पीपलकोटी के विवेकानंद अस्पताल में भर्ती सभी 18 श्रमिकों को भी घर भेज दिया गया है। 21 अन्य श्रमिक सुरक्षित थे और मौके से ही अपने घर लौट गए।

लोकल ट्रॉली बनाम भारतीय रेलवे

प्रशासन ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर आपत्ति जताई है जिनमें इसे ट्रेन हादसा करार दिया गया था। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि “समाचार चैनलों में जिस ‘ट्रेन’ का जिक्र हो रहा है, वह वास्तव में मजदूरों को लाने-ले जाने वाली परियोजना की अपनी परिवहन ट्रॉली है। यह सुरंग निर्माण का हिस्सा है और इसका सार्वजनिक रेल सेवा से कोई संबंध नहीं है।” फिलहाल टनल में स्थिति नियंत्रण में है और सुरक्षा मानकों की दोबारा जांच की जा रही है।

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