आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। यह विवादित बयान है देश के गृह मंत्री सह भाजपा के दिग्गज नेेता अमित शाह का। यह बयान उन्हाेंने पूरे होेश व हवाश में राज्यसभा मेें चर्चा केे दौरान दूसरे दिन दिया। ध्यान दीजिएगा, भारत मेें इस राज्यसभा का कन्सेप्ट लाने वाले वही बाबा भीम राव आंबेडकर हैं, जिनके नाम को लेेना गृह मंत्री फैशन से जोड़कर देखते हैं और राज्यसभा के भीतर ऐसा अमर्यादित बयान देते हैं, तब देशभर के भाजपा के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता सोेए रहते हैं। उनके मूंह मेंं दही जम जाता है। वहीं, दूसरी ओर झारखंड सरकार के एक मुस्लिम अल्पसंख्यक मंत्री सीने मेें कुरआन और हाथ में संविधान रखने की बात कह अल्पसंख्यकाें का धार्मिक मार्गदर्शन करने का प्रयास करते हैं तो भाजपा जंग छेड़ देती है। पार्टी का निम्न से लेकर उच्च स्तरीय नेेता शक्तिमान की तरह सक्रीय हो जाता है। क्या केवल इसलिए कि भाजपा को अल्पसंख्यकों सेे नफरत है? उन्हेें एक अल्पसंख्यक का मंत्री बनना पच नहींं रहा है? उनकेे गले से अल्पसंख्यक मंत्री उतर नहीं रहे हैं?
प्रधानमंत्री के विवादित बयान पर भी चुप रही भाजपा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुसलमानों कोे लेेकर विवादित बयान दिया है जब उन्होंने कहा पहले ठीक से काम हुआ होता तो मुसलमानाें को पंक्चर बनाना नहींं पड़ता। प्रधानमंत्री के इस कथन पर भी भाजपा चुप रही। उन्हें देेश के अगुआ को बताना चाहिए कि देेश का मुसलमान सुप्रीम कोर्ट में जज है, वकील है। देेश का राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति रह चुका है। सेेना में सिपाही से लेकर उच्च पदों को संभाल रहा है। सफल व्यवसायी हैै, शिक्षक है, प्राध्यापक है, खिलाड़ी है। पुरुष ताे पुरुष मुस्लिम महिलाओं ने भी काफी संख्या मेंं सफलता केे झंडे गाड़े हैं और देश को गौरवान्वित किया है। कईयों को तो वह स्वयं पुरस्कृत भी कर चुके हैं। ऐसे कई विशेष पदाें को मुस्लिम अल्पसंख्यक सुशोभित कर रहे हैं फिर उनकी ही पार्टी के नेतागण क्यों अल्पसंंख्यक मंंत्री हफीजुल हसन कोेे पचा नहीं पा रहे? अल्पसंंख्यक मंंत्री ताे कार्य करने मेें किसी के साथ जातिगत भेदभाव कभी नहीं किए। उन्होंने तो सभी का कार्य जाति, वर्ग, वंश, दल, लिंग आदि भेदभाव को दरकिनार कर किया। उन्होंने तो कभी किसी के साथ पक्षपात नहीं किया। उनका अब तक का कार्यकाल निविर्वाद रहा है, फिर भाजपा इनसे क्यों बौखलाई है?
जनता हाजी हुसैन की छवि देेखती है हफीजुल मेंं
संभवत: भाजपा काे यह ज्ञात नहीं कि झारखंंड के मुसलमान मंत्री हफीजुल हसन में उनके पिता हाजी हुसैन अंसारी की छवि को देखते हैैं। यदि ऐसा नहीं होता ताे जनता उनकाे प्रचंड वोट देकर मधुपुर से विधानसभा तक नहीं पहुंचाती। यह बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी समझतेे होंगे तभी जन आकांक्षाओं का ध्यान रखते हुए उन्होंने हफीजुल को मंत्री पद की जिम्मेवारी सौंपी है। गौरतलब हो कि हाजी हुसैन अंसारी झारखंड के पहले और एकलौते मुस्लिम अल्पसंख्यक मंत्री रहे हैं। वह मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार प्रचंड मतों से विजयी होकर अपनी लाेेकप्रियता का लोहा मनवा चुके हैं। उनके पुत्र और मंत्री हफीजुल हसन काे भी जनता से इसी तरह ढेर सारा स्नेह और प्यार मिल रहा है। यही कारण है कि वह प्रत्येक रविवार अपने क्षेत्र की जनता के बीच सेवा करने के लिए उपस्थित रहते हैं।
किसे बनाया गया विवाद, जो विवाद था ही नहीं
मंत्री हफीजुल हसन के जिस कथन को लेकर भाजपा ने विवाद खड़ा किया, दरअसल वह विवाद था ही नहीं। मंत्री नेे कहा था-हम अपने सिने में कुरआन और हाथों में संविधान रखते हैं। ऐसेेे में एक नासमझ पत्रकार ने वक्फ संपत्ति को लेकर पूछ दिया आप संंविधान को मानते हैैं या शरीयत को। मंत्री हफीजुल हसन ने वक्फ संपत्ति को लेकर जवाब दिया शरीयत को। बस उस नासमझ पत्रकार ने चीजाेें कोे तोड़-मराेड़कर जनता के सामने पेश कर दिया, जिससे मुद्दा विहीन भाजपा को जैसे संजीवनी मिल गई और तिल को ताड़ कर दिया गया। मालूम हो कि शरीयत कोई बुरी चीज नहीं बल्कि इस्लामी कानून है, जिसके कई अंश भारतीय संविधान में भी है। जैसे-मानवाधिकार, सर्वोच्च न्याय व्यवस्था, इंसानियत पर विचार, बाल-बालिका संरक्षण, महिला संरक्षण आदि। अब प्रश्न यह उठता है कि कोई मुस्लिम सर्वप्रथम शरीयत की ही बात करेगा न क्योंकि इसी शरीयत के बीच उसका बचपन बीतता है और उसका समाजीकरण होता है। उसके बाद ही वह दुनियावी तालिम लेकर राज्य और देश की उन्नत्ति में अपना योगदान देता है। यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह है जैसे एक हिंदू अपनेे परिवार के बीच रामायण-महाभारत, सिख गुरुग्रंथ साहेेब, ईसाई बाईबिल पढ़कर-सुनकर सिखता एवं समझता हैै और उसका समाजीकरण होता है। इसकेे बाद ही वे दुनिया के बीच इंसानियत को स्थापित कर पाते हैं। धार्मिक ग्रंथ हमें मानवता का जो पाठ पढ़ाते हैं, वह जीवन भर हमारे काम आता है। भाजपा को यह याद रखना चाहिए।