Ranchi : राम लखन सिंह महाविद्यालय में आयोजित 5 दिवसीय झारखंड जनजातीय एवं क्षेत्रीय संगीत एवं नृत्य कार्यशाला सह प्रदर्शन का समापन समारोह मंगलवार को गरिमापूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। यह आयोजन झारखंड सरकार के पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा विभाग के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय द्वारा वित्त पोषित था और इसे कुंजबन छोटानागपुरी लोक संगीत एवं नृत्य केंद्र, चुटिया, रांची के सहयोग से संपन्न कराया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक अखड़ा पूजन से की गई, जो झारखंड की जनजातीय परंपराओं का प्रतीक है। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यसभा सांसद डॉ. महुआ माजी उपस्थित रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में रांची विधायक सी.पी. सिंह, पूर्व उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय, पूर्व पार्षद वीणा अग्रवाल, राजाराम महतो और आमंत्रित कलाकार धरमू नायक की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को विशेष बना दिया।
कुडुख नृत्य मंडली द्वारा प्रस्तुत रंगारंग प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। झिरगा भगत के नेतृत्व में लापुंग से आई यह मंडली जनजातीय संस्कृति की जीवंत मिसाल थी। इस दौरान कुंजबन के संरक्षक मदन सिंह और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े सुदीप शर्मा भी मंच पर मौजूद रहे।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विष्णु चरण महतो ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार की जनजातीय कार्यशालाएं प्रत्येक विश्वविद्यालय में आयोजित की जानी चाहिए, ताकि छात्र-छात्राएं अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकें और उनका संरक्षण कर सकें।
रांची विश्वविद्यालय के डी.एस.डब्ल्यू. प्रो. सुदेश कुमार साहू ने अपने वक्तव्य में कहा कि भाषा और संस्कृति को बचाने की ज़िम्मेदारी हमारी खुद की है। हमें इसके लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कुंजबन संस्था की 1985 से चली आ रही सांस्कृतिक सेवा को सराहनीय बताया।
विधायक सी.पी. सिंह ने कहा हमारे पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का कार्य कुंजबन पूरी निष्ठा से कर रहा है। मुख्य अतिथि डॉ. महुआ माझी ने कहा कला और संस्कृति मनुष्य को सामाजिक बनाती है, इसलिए इन्हें जीवित रखना आवश्यक है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से अपील की कि वे अपने लोक संगीत, नृत्य और भाषाई परंपराओं को न भूलें।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक पद्मश्री मुकुंद नायक ने अपनी मातृभाषा के महत्व और उसके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यदि हम अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा स्वयं नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से कट जाएंगी।
इस कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। आयोजन को सफल बनाने में सहायक संयोजक किशोर नायक, सूर्यकांत नायक, महाविद्यालय संयोजक डॉ. अजीत मुंडा और डॉ. राम कुमार की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
कुंजबन के प्रशिक्षकों में शामिल थे-बालेश्वर नायक (गायक), अभिषेक कुमार बड़ाईक (नर्तक), लक्ष्मी कच्छप, नूतन लकड़ा (नर्तकी)। वादन में अपनी भूमिका निभाने वाले थे-रामेश्वर मिंज (बांसुरी वादक), किशोर महली, दुर्योधन नायक, किशुन नायक, कागु नायक जबकि दस्तावेजीकरण का कार्य फूलो कच्छप ने किया।
समग्र रूप से यह आयोजन न सिर्फ सांस्कृतिक जागरूकता का परिचायक बना बल्कि झारखंड की लोक परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हुआ। इसके सफल आयोजन में कॉलेज प्राचार्य डॉ. विष्णु चरण महतो की प्रेरणादायी भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया।