Ranchi News: झारखंड कैडर की 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा ने शुक्रवार को राज्य की प्रभारी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का पदभार ग्रहण किया। यह राज्य के इतिहास का एक अहम दिन रहा, क्योंकि पहली बार किसी महिला अधिकारी को पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले तदाशा मिश्रा गृह विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थीं।
“महिला सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता” – डीजीपी तदाशा मिश्रा
पदभार संभालने के बाद तदाशा मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता महिला सुरक्षा और अपराध नियंत्रण होगी। उन्होंने कहा, “अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। समाज की आधी आबादी सुरक्षित रहे, यह हमारी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था को और सुदृढ़ करने, नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने और संगठित अपराधों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों से आग्रह किया कि वे जनता के साथ सम्मान और संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करें। उन्होंने कहा, “पुलिस तभी प्रभावशाली बन सकती है जब जनता का उस पर भरोसा हो। हर पुलिसकर्मी को इस भरोसे को बनाए रखना होगा।”
नक्सल प्रभावित इलाकों में खुद की थी मोर्चाबंदी, अपराधियों से नहीं करती समझौता
तदाशा मिश्रा को उनके साहसिक और अनुशासित नेतृत्व के लिए जाना जाता है। बोकारो में एसपी रहते उन्होंने झुमरा पहाड़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में खुद मोर्चा संभाला था। उस समय जवानों में डर था, लेकिन उनके नेतृत्व ने पुलिस बल में आत्मविश्वास और साहस भर दिया।
सहकर्मी बताते हैं कि वे उतनी ही संवेदनशील हैं जितनी सख्त। अपराधियों के मामले में वे किसी भी तरह के समझौते में विश्वास नहीं रखतीं, लेकिन समाज के कमजोर वर्गों के प्रति उनके भीतर गहरी संवेदना है। डीजीपी ने कहा कि अनुसंधान (इन्वेस्टिगेशन) की गुणवत्ता बढ़ाना जरूरी है ताकि अपराधियों को जल्द सजा मिल सके। उन्होंने अभियोजन प्रणाली को भी तेज़ और सशक्त बनाने की बात कही।
झारखंड की पहली महिला डीजीपी के रूप में तदाशा मिश्रा ने न सिर्फ इतिहास रचा है, बल्कि आने वाली पीढ़ी की महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा और उदाहरण भी पेश किया है। उन्होंने कहा, “यह पद सम्मान नहीं, जिम्मेदारी है — और इसे पूरी निष्ठा से निभाना मेरा कर्तव्य है।”

