Public Adda News: पृथ्वी का 71 फीसदी हिस्सा पानी में है, हमारा शरीर पानी से बना है, हमें जीवित रहने के लिए पानी की जरुरत है, लेकिन ये पृथ्वी पर आया कहां से यह एक सवाल है? क्या इसे कोई एस्ट्रॉयड अपने साथ लेकर आया या ये पहले से यहां मौजूद था? आखिर जीवन की ये सबसे जरूरी चीज आई कहां से है? धरती पर पानी के आने को लेकर दो मुख्य थ्योरी हैं।
वैज्ञानिकों ने जुपीटर और मार्स के आसपास बर्फीले मीटियोराइट कोन्ड्राइट खोजे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पहली थ्योरी कहती है कि साढ़े 400 करोड़ साल पहले धरती के बनने के दौरान यहां पर पहले से पानी मौजूद था। उस समय धरती की मैंटल लेयर में मौजूद चट्टानों में ही पानी था। शुरुआत में धरती बहुत ज्यादा गर्म थी, अगर ऐसा है भी तो इतनी गर्मी से पानी भाप में बदल जाना चाहिए। तापमान 2 हजार डिग्री से भी ज्यादा पहुंच चुका था। इस थ्योरी के मुताबिक ज्वालामुखी फटने से ये पानी चट्टानों से निकलकर, भाप बनकर वायुमंडल में पहुंचा और बाद में बारिश के रूप में धरती की सतह पर गिरा। विशेषज्ञों का मानना है कि धरती के अंदर की चट्टानों में महासागरों के मुकाबले 18 गुना ज्यादा पानी है। वहीं दूसरी थ्योरी से पता चलता है कि एस्ट्रॉयड्स बाहर से अपने साथ यहां पानी लेकर आए हैं। जब लेट हेवी बोम्बार्डमेंट के दौरान ये पृथ्वी से लगातार टकरा रहे थे, तब वह सतह पर पानी छोड़ गए।
वैज्ञानिकों ने जुपीटर और मार्स के आसपास कोन्ड्राइट नाम के बर्फीले मीटियोराइट खोजे हैं, जिनके मिनरल्स में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मॉलिक्यूल हैं। वहीं र्यूगू नाम के एक एस्टॉयड़ में धरती पर पाया जाने वाला पानी भी मिला है। हो सकता है कि धरती पर पानी एस्ट्रॉयड और कॉमेट के कारण आया हो, लेकिन पृथ्वी की चट्टानों में जो पानी है, वो एनस्टाटाइट नाम के एक दूसरे मिनरल से बनता है, जिसमें हल्के हाइड्रोजन के मॉलिक्यूल हैं, और वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी से इतने सारे एनस्टाटाइट वाले एस्ट्रॉयड एकसाथ टकराना असंभव है जो हमें इतनी ज्यादा मात्रा में पानी दे जाएं। इसलिए पृथ्वी पर पानी असल में कैसे आया ये अब भी साफ नहीं हो सका है।

