India News: स्ट्रॉबेरी मून आसमान में नजर आएगा। स्ट्रॉबेरी मून का नाम सुनकर दिमाग में आता है कि क्या चांद गुलाबी रंग का दिखाई देगा? यह बात नहीं है, चांद का रंग गुलाबी नजर नहीं आएगा। स्ट्रॉबेरी मून नॉर्थ हेमिस्फियर में वसंत ऋतु का आखिरी फुल मून यानी पूरे चांद को कहते हैं। इस नाम का चांद के आकार या रंग से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि ये नाम मूल अमेरिकी जनजातियों और यूरोपीय परंपराओं से लिया गया है।
इसका रंग गुलाबी नहीं होता, यह घटना हर 18 साल में होती है
स्ट्रॉबेरी मून 11 जून यानी बुधवार की रात को दिखाई देगा। भारत में इसे देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के बाद होगा। चंद्रमा दक्षिण-पूर्वी क्षितिज पर नीचे की ओर दिखाई देगा। आप इसे किसी ऐसी जगह से देखें, जहां आस-पास रोशनी कम हो। ऐसे में चांद और ज्यादा साफ नजर आएगा। और बेहतर तरीके से चांद को देखने के लिए आप दूरबीन या टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बता दें पुराने समय में फुल मून का नाम मौसम के मुताबिक रखा जाता था, ताकि आने वाले मौसम का पता चल सके। जून के फुल मून को वसंत का आखिरी या गर्मियों का पहला चांद कहा जाता है। इसलिए इसे स्ट्रॉबेरी मून कहते हैं। दरअसल, इस समय जून-बेयरिंग स्ट्रॉबेरी पककर तैयार हो जाती हैं। इसलिए यह नाम दिया गया। कुछ जनजातियां इसे बेरीज राइपेन मून भी कहती हैं।
जून का फुल मून आमतौर पर नॉर्थ हेमिस्फियर में साल का सबसे नीचा चंद्रमा होता है, लेकिन इस साल यह और भी नीचे दिखाई देगा। ऐसा मेजर लूनर स्टैंडस्टिल के कारण हो रहा है, जो इस साल के शुरुआत में हुआ था। यह घटना काफी खास है। यह घटना हर 18.6 साल में होती है और फुल मून के दौरान इसका असर सबसे ज्यादा होता है और अगली बार ऐसा साल 2043 में होगा। इस दौरान चांद एक सुनहरी चमक के साथ दिखाई देगा।