India News: देश में मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे 30 सितंबर तक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार रहें। इससे साफ है कि अक्टूबर से पूरे देश में वोटर लिस्ट की जांच और सुधार का अभियान शुरू हो सकता है।
30 सितंबर तक तैयार रहने दिए निर्देश
जानकारी के मुताबिक, इस बार मतदाता सत्यापन प्रक्रिया काफी सख्त होगी। राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) को पहले ही इस बारे में संकेत दे दिए गए थे, लेकिन अब आयोग ने स्पष्ट निर्देश देते हुए 30 सितंबर की समयसीमा तय कर दी है। आयोग ने कहा है कि सभी राज्यों को अपनी वोटर लिस्ट तैयार रखनी होगी, ताकि गहन पुनरीक्षण में तेजी से काम किया जा सके।
कई राज्यों ने पहले ही अपनी पुरानी वोटर लिस्ट वेबसाइट पर डाल दी है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली की साइट पर 2008 की और उत्तराखंड की वेबसाइट पर 2006 की मतदाता सूची उपलब्ध है। लेकिन अब इन सूचियों को अपडेट कर नए सिरे से जांचा जाएगा।
अवैध वोटर होंगे बाहर?
चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार में यह प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया जाएगा। अधिकतर राज्यों में अंतिम बार गहन पुनरीक्षण 2002 से 2004 के बीच हुआ था। अब इस नए SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को और पारदर्शी बनाना है, ताकि फर्जी नाम और अवैध प्रवासी वोटर सूची से बाहर किए जा सकें।
यह कदम खासकर उन राज्यों के लिए अहम है, जहां बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों की समस्या रही है। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में केवल वैध और पात्र नागरिकों का नाम होना चाहिए। इसी के तहत जन्म स्थान और पहचान की गहन जांच की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया आने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण होगी। खासतौर पर असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आयोग का दावा है कि इस गहन पुनरीक्षण से लोकतंत्र और मजबूत होगा और जनता का भरोसा चुनाव प्रणाली पर और बढ़ेगा।

