Jharkhand News: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 18वें दिन की कार्यवाही में निजी स्कूलों की मनमानी और री-एडमिशन के नाम पर फीस वसूली का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। इस पर हजारीबाग के विधायक प्रदीप प्रसाद ने सवाल उठाया कि प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर कोई ठोस कानून क्यों नहीं बनाया जाता। उन्होंने कहा कि लगभग सभी स्कूल री-एडमिशन के नाम पर फीस वसूलते हैं, जो शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
विधायक प्रदीप प्रसाद के सवाल पर मंत्री रामदास सोरेन ने सदन में जवाब दिया कि निजी स्कूलों में फीस निर्धारित करने के लिए एक समिति बनी हुई है, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त (DC) करते हैं। मंत्री ने कहा कि इस समिति से अनुशंसा प्राप्त होने के बाद कानून बनाने पर विचार किया जाएगा। वहीं, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुझाव दिया कि सभी उपायुक्तों से यह पूछा जाए कि उन्होंने इस विषय पर कितनी बैठकें की हैं, क्योंकि इस मुद्दे पर न्यायाधिकरण और डीसी की अध्यक्षता में एक कमिटी भी कार्य कर रही है, लेकिन बैठकें कम होती हैं।
विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने इस विषय पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को देखते हुए इस पर कानून बनाना आवश्यक प्रतीत होता है।
चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि झारखंड सरकार जल्द ही इस मामले में कड़े कदम उठा सकती है, ताकि प्राइवेट स्कूलों की फीस और री-एडमिशन शुल्क की मनमानी को नियंत्रित किया जा सके।